पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्यमंत्री कृषि आशिर्वाद योजना को दोबारा शुरू करने की मांग की है. उनका कहना है कि इस योजना के जरिए किसानों को आर्थिक सहायता दी मिलती थी और वो कई तरह के खर्च को वहन कर पाते थे.पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि राज्य के अन्नदाताओं को आर्थिक रूप से संबल बनाने और उन्हें छोटी.मोटी चीजों के लिए ऋण ना लेना पड़ेए इसके लिए मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना की शुरुआत की गई थी।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य के किसानों को लेकर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कोराना काल में किसानों को हो रही आर्थिक परेशानियों को लेकर मुख्यमंत्री कृषि आशिर्वाद योजना फिर से शुरू करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस योजना की शुरूआत किसानों को आर्थिक रूप संपन्न बनान के लिए किया गया था, ताकि वो छोटी-मोटी जरूरतों के लिए ऋण पर निर्भर ना रहें. उन्होंने कहा कि इस योजना से राज्य के लाखों किसानों को सालाना पांच हजार से 25 हजार रुपये तक की आर्थिक सहायता मुहैया कराई जा रही थी. किसान इस राशि का इस्तेमाल खाद एवं बीज खरीदने के लिए करते थे. वहीं इसके अलावा इस राशि से ओलावृष्टि और मौसम के कारण फसलों को नुकसान पहुंचने पर भी इससे किसानों को थोड़ी भरपाई हो जाती थी. लेकिन मौजूदा सरकार द्वारा इस योजना को बंद कर दिया गया है. जिसका सीधा असर किसानों की आर्थिक सेहत पर पड़ रहा है.
आगे किसानों के बारे में रघुवर दास ने कहा फि फसल नष्ट होने के कारण किसानों का काफी नुकसान हुआ है और किसानों कि कमर टूट गई है. वहीं इस कारण किसान आत्महत्याएं भी होने लगी हैं. उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह करते हुए मांग किया कि मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना को फिर से शुरू करके किसानों के खाते में राशि भेजी जाए ताकि किसानों को कर्जदार न बनना पड़े. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि केंद्र सरकार पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों के खाते में राशि भेजकर किसानों को राहत दी है. ऐसे में राज्य सरकार भी संकट के इस घड़ी में किसानों के प्रति संवेदनशील रुख अपनाते हुए एकमुश्त राशि उन्हें दे. आखिरी में उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा वर्तमान में खरीद की गई बकाया राशि का भुग्तान भी किसानों को जल्द करे ताकी उन्हें कोरोना जैसे कठीन वक्त में राहत मिल सके.
मुख्यमंत्री कृषि आशिर्वाद योजना
कृषि आशिर्वाद योजना के अंतर्गत किसानों को विभिन्न लाभ दिए जाते थे:
खरीफ फसल के लिए प्रति वर्ष प्रति एकड़ 5 हजार रुपये मिलते थे.
ऐसे लघु एवं सीमांत किसान जिनके पास 5 एकड़ तक जमीन है उन्हें इसका लाभ मिलेगा.
झारखंड के 22 लाख 76 हजार किसानों को इसका सीधा लाभ मिलता था.