एक ओर जहां हमारा देश विकास की ओर एक से बढ़कर एक नए आयाम कायम करता जा रहा है. इसके साथ ही धरती से लेकर चांद तक देश ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. हमारा देश तरक्की की हर वो सीढ़ी की तरफ बढ़ रहा है जो एक विकासशील देश के लिए जरुरी है.
कृषि क्षेत्र में किसानों का सबसे बड़ा योगदान है. लेकिन कृषि से जुड़ी समस्याओं से किसान को आए दिन जूझना पड़ता है. कभी बारिश तो कभी बाढ़ की मार, अगर उससे बचे तो सूखे की मार या फिर कर्जा लेकर फसल को लगाना यदि किसी कारण वश फसल बर्बाद हो गई तो किसान जाए तो जाए कहां. हालांकि देश की सत्ताधारी सरकार व राज्य सरकार किसानों के हित के लिए योजनाएं निकालती हैं लेकिन उन्हें इसका लाभ जमीनी हकीकत में नहीं मिल पाता है जिससे परेशान होकर आत्महत्या जैसा खौफनाक कदम उठा लेते हैं.
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हाल ही के आंकड़ों से सामने आया है कि जिसमें देश के किसानों के ऊपर 21 लाख करोड़ के कर्ज की बात कही जा रही है. भारत में किसानों पर कर्ज लगातार बढ़ता ही जा रहा है. आंकड़ों के अनुसार भारत के सभी प्रदेशों के किसानों पर 20 लाख 86 हजार 428 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है. हर महीने हजारों की संख्या में किसान कर्ज के कारण आत्महत्या जैसे खौफनाक कदम उठा रहे हैं. वहीं देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों का लाखों-करोड़ों का कर्ज सरकार माफ कर देती है. लेकिन किसानों को कर्ज को लेकर माफी नहीं दी जा रही. इससे किसान हताश होते जा रहे हैं.
दक्षिण राज्यों में कर्जे का आंकड़ा
सबसे ज्यादा कर्ज तमिलनाडु राज्य के किसानों पर है, जिसका 3,47 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है. वहीं आंध्र प्रदेश के किसानों पर 2.45 करोड़ रुपया बाकी है. इसके अलावा कर्नाटक के किसानों पर भी 1.80 करोड़ रुपये बाकी है. केरल के किसानों पर 1.9 करोड़ रुपये बाकी है. तेलंगाना के किसानों पर 1.12 लाख करोड़ का कर्ज बाकी है.
यूपी समेत अन्य राज्यों में कर्जे का आंकड़ा
उत्तर प्रदेश के किसानों पर 1.71 करोड़ बाकी है. वहीं महाराष्ट्र के किसानों पर 1.61 करोड़ का कर्ज बाकी है. राजस्थान के किसानों पर 1.47 करोड़, गुजरात के किसानों पर 1.8 करोड़, मध्य प्रदेश के किसानों पर 1.8 करोड़ का कर्ज बकाया है.
लेकिन अब समय आ गया है कि किसानों पर सरकार को ध्यान दें.
रबीन्द्रनाथ चौबे कृषि मीडिया बलिया उत्तरप्रदेश