अभी पिछले महीने की 11 तारीख को ही पाँच राज्यों के विधान सभा चुनाव के नतीजे आए। जिसमें बीजेपी को तीन बड़े राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने मात दे दी। इस विधानसभा चुनाव में कर्जमाफ़ी का मुद्दा अहम रहा। जैसे ही इन सभी राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी तो एक के बाद एक राज्य ने किसानों की कर्जमाफ़ी का ऐलान कर दिया. इतना ही नहीं इसी कर्जमाफ़ी के धुन में भारतीय जनता पार्टी भी चल पड़ी थी. इसी बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी फिर से कर्जमाफ़ी की घोषणा कर दी थी. इस बार योगी सरकार से उन किसानों की कर्जमाफ़ी का फैसला किया था जो पिछली बार इसके लाभ से वंचित रह गए थे.
बता दें, राजस्थान की नई कांग्रेस सरकार के कर्जमाफ़ी राजनीति के बीच 100 से ज़्यादा ऐसे किसानों के नाम आने का दावा हुआ है जिन्होंने कभी कर्ज लिया ही नहीं है फिर भी उनके कर्ज माफ कर दिये गए है. इन नाराज किसानों ने सरकार के खिलाफ़ फर्जीवाड़े का आरोप लगाकर प्रदर्शन किया। जिसके बाद राजस्थान सरकार ने सहकारी बैंक के मैनेजर को निलंबित कर दिया है.
एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले के सागवारी तहसील के गेवड़ी मे 1780 किसान ऐसे हैं जिनका नाम कर्जमाफ़ी के लिस्ट में शामिल है। इन किसानों ने किसी भी सहकारी बैंको से कर्ज भी नहीं लिया था. सहकारी बैंको ने इन किसानों को 8 करोड़ रूपये का लोन देने का दावा किया है. किसानों को इस कर्ज के बारे में तब पता चला जब उन लोगों ने राजस्थान सरकार द्वारा कर्जमाफ़ी मुहैया कराए गए ऑनलाइन लिंक पर जाकर लाभ लेने वाले किसानों के नाम की जांच की. रविवार को किसानों ने बैक के सामने जाकर विरोध प्रदर्शन किया और बैक कर्मचारियों के पुतले भी फूंके. किसानों के प्रदर्शन के बाद जब सरकार ने जांच के आदेश दिये तो बैंक कर्मचारी भाग निकले.