हरिवंशराय बच्चन जी द्वारा रचित एक कविता की पंक्ति है कि “कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.” इंसान जब संकल्प शक्ति के साथ परिश्रम करता है, तो उसे सफलता जरूर मिलती है. इस बात को एक बार फिर राजस्थान के उदयपुर में रहने वाली सोनल ने सत्य कर दिखाया है.
दूधवाले की बेटी बनी जज
दरअसल सोनल ने ज्यूडिशियल सर्विसेज की परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास कर लिया है. उसकी सफलता इसलिए भी खास है क्योंकि वो बहुत अधिक साधन संपन्न परिवार से नहीं आती. सोनल के पिता दूध बेचने का व्यापार करते हैं. उनका एक गौशाला है, जिसके जरिए वो अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं.
गौशाला में ही करती रही तैयारी
आज अपनी बेटी की सफलता पर सोनल के पिता बहुत खुश हैं.वो बताते हैं कि उनकी बेटी सिर्फ 26 साल की ही है. वो हमेशा पढ़ाई करना चाहती थी, लेकिन हमारे पास अधिक पैसे न होने के कारण हम हम उसे महंगे कोचिंग भेजने में सक्षम नहीं थे. उसने फिर भी हार नहीं मानी और गौशाला में रहकर ही अपने परीक्षा की तैयारी करने लगी.
फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के तौर पर होगी नियुक्ति
बता दें कि सोनल की नियुक्ति राजस्थान के सेशन कोर्ट में फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के तौर पर होगी. उनके मेंटर सत्येंद्र सिंह सांखला ने इस बारे में बताते हुए कहा कि सोनल के परश्रिम को देखते हुए लगता था कि वो इस परीक्षा को पास कर जाएगी, लेगी पहले ही कटऑफ में उसका नाम आना महत्व रखता है.
जारी रखेंगी पशुपालन का काम
अपने पिता की तरह सोनल को भी गायों से बहुत प्रेम है. वो कहती है कि भले मैं आज जल बन गई हूं, लेकिन पशुपालन का काम आगे भी जारी रखूंगी. गोशाला के पैसों से ही वह पढ़ाई करती रही, इसलिए गायों को पालने का काम आगे भी करती रहेंगी.