The Council of Scientific and Industrial Research (CSIR): दिन प्रतिदिन टेक्नोलॉजी नए और विशेष तरीकों के द्वारा लोगों के लिए नई सुविधाएं पैदा कर रही हैं. टेक्नोलॉजी केवल बड़े शहरों में रहने वालों की नहीं, बल्कि गांव-देहात में खेती करने वाले किसानों की मदद भी कर रही है. इसी कड़ी में खेती में टेक्नोलॉजी को बढ़ाना देने को लेकर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने एक खास तरह के मिशन की शुरुआत की है. खेती में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से न केवल फसलों का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी.
क्या है CSIR का प्लान?
दरअसल, दक्षिण भारत में स्थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने अन्य फसलों के उत्पादन के लिए क्षेत्र-विशिष्ट (रीजन-स्पेसिफिक) स्मार्ट-एग्रो टेक्नोलॉजीस का एक विशेष मिशन शुरू किया है. इस मिशन का मकसद खेती के माटी की स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार करने तथा किसानों की आय में वृद्धि करना है. इस संबंध में जानकारी देते हुए CSIR ने एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, "इस प्रयास से केंद्र सरकार को भविष्य में कृषि के लिए ऑटोमेशन, सेंसर, ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस गैजेट्स का उपयोग शुरू करने में मदद मिलेगी." उन्होंने आगे कहा, "यह उन पहली मिशन मोड परियोजनाओं में से एक है, जिसके बारे में पहले कल्पना की गई और फिर उसे ज़मीन पर लागू किया गया."
इस परियोजना में अलग-अलग प्रकार के टारगेटेड फसलों के माइक्रो-एनवायरमेंट से प्रभावित फेनोलॉजिकल और फिजियोलॉजिकल इंडीकेटर्स के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए, रियल-टाइम सटीक डेटाबेस तैयार करने के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (loT) आधारित सेंसर और ड्रोन-आधारित हाइपर और मल्टी-स्पेक्ट्रल इमेजिंग को खेती-किसानी में उपयोग करने के लिए परिकल्पना की गई है.
टेक्नोलॉजी की मदद ट्रैक होगा हर डेटा
सीएसआईआर फोर्थ पैराडाइम इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु, सीएसआईआर-नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज, सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन जम्मू और सीएसआईआर-सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लुधियाना के वैज्ञानिकों और टेक्नोलॉजिस्ट्स की एक टीम ने इस मिशन के लिए चेंगलम, तिरुवरप्पु पंचायत, केरल के कोट्टायम में मुलेप्पादम पंचायत, सेनबगारमन पुदुर, तमिलनाडु के नागरकोइल में नवलकाडु, और कर्नाटक में होसपेटे में धान के खेतों की पहचान की है.
इसके तहत, वे क्रॉप हेल्थ इंडीकेटर्स के लिए यूएवी के माध्यम से सॉइल हेल्थ मैपिंग (मिट्टी के स्वास्थ्य की जानकारी) और फसल की मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजिंग जैसी एडवांस टेक्नोलॉजी का उपयोग करके मिट्टी और फसल के हेल्थ इंडीकेटर्स पर रियल-टाइम डेटा को दर्ज करेंगे और उसे डॉक्यूमेंट करेंगे, जिसके आधार पर वैज्ञानिकों की टीम दक्षिण भारत में किसानों की आय बढ़ाने के लिए फसलों की कैटेगरी और मात्रा को टेक्नोलॉजी की मदद से बढ़ाने की हर संभव प्रयास करेगी.
किसानों को ऐसे होगा फायदा
परिणाम से खनिज पोषण, सिंचाई, वास्तविक समय फसल प्रबंधन और अच्छी फसल पालन, कीट-रोग प्रबंधन और गुणवत्ता और टिकाऊ फसल प्राप्त करने के लिए कृषि संबंधी प्रथाओं के अनुकूलन के माध्यम से मिट्टी और पौधों के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए बेहतर फसल-विशिष्ट कृषि प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में मदद मिलेगी.