भारत में गिरते भू-जल स्तर ने किसानों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी कर दी है. दरअसल, देश के कई हिस्सों में बारिश की कमी देखने को मिली है. जिस वजह से फसल बर्बाद होने की कगार पर है. 150 प्रमुख भारतीय जलाशयों में जल स्तर में लगातार 16वें सप्ताह गिरावट जारी रही और उत्तर में स्थिति के कारण दक्षिण में भंडारण कम होने से चिंताएं बढ़ गई हैं. केरल और तमिलनाडु एकमात्र ऐसे राज्य थे जहां पिछले सप्ताह बारिश हुई और देश का एक बड़ा हिस्सा सूखा रहा. भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, मौसम संबंधी डेटा उपलब्ध कराने वाले 711 जिलों में से तीन-चौथाई में 2024 की शुरुआत से कम, बहुत कम या बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई है. इससे जलाशयों की स्थिति जटिल हो गई है और मॉनसून तथा मॉनसून के बाद के मौसमों में भी कम वर्षा हो रही है.
अमेरिका के राष्ट्रीय पर्यावरण सूचना केंद्र के अनुसार, दिसंबर में देश का कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा सूखे की चपेट में था. लाइव स्टोरेज स्थिति पर अपने साप्ताहिक बुलेटिन में, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के आंकड़ों से पता चला है कि इस सप्ताह प्रमुख 150 जलाशयों में भंडारण 178.784 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) का 53 प्रतिशत 95.326 बीसीएम था. एक साल पहले इसी दौरान भंडारण क्षमता का 82 फीसदी था और पिछले 10 साल का औसत 95 फीसदी है. पूर्वी क्षेत्र को छोड़कर, जहां तीन जलाशय क्षमता से भरे हुए हैं, 58 में जल स्तर क्षमता के 50 प्रतिशत से नीचे है.
चूंकि हिमालय में कोई पश्चिमी विक्षोभ नहीं है, इसलिए अभी तक बर्फबारी नहीं हुई है. इससे चिंताएं और बढ़ गई हैं क्योंकि बागवानी, दालें, मूंगफली और धान गर्मियों में उगाए जाते हैं. सेफेक्स केमिकल्स के संस्थापक-निदेशक एसके चौधरी के मुताबिक, सेब के उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है. सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों के अनुसार, 10 उत्तरी क्षेत्र के जलाशयों में भंडारण 9.611 बीसीएम था, जो 19.663 बीसीएम क्षमता का 48.9 प्रतिशत (पिछले सप्ताह 51.3 प्रतिशत) है. चार जलाशयों में स्तर क्षमता के 50 प्रतिशत से नीचे था, और अन्य चार में यह 60 प्रतिशत से नीचे था.
कोई भी जलाशय क्षमता से 90 प्रतिशत से अधिक नहीं भरा. पंजाब में भंडारण सामान्य से 34 फीसदी कम रहा. इसी तरह, दक्षिणी क्षेत्र में, 42 जलाशयों में से 22 में भंडारण क्षमता के 50 प्रतिशत से कम था. जल स्तर 53.334 बीसीएम क्षमता का 36 प्रतिशत (37 प्रतिशत) 18.999 बीसीएम था. जबकि, मध्य क्षेत्र के 26 जलाशयों में, स्तर 48.227 बीसीएम क्षमता का 61 प्रतिशत (64 प्रतिशत) 29.430 बीसीएम था. इनमें से 13 में भंडारण 50 फीसदी से कम था, जबकि एक को छोड़कर बाकी में स्थिति क्षमता से 70 फीसदी कम थी.
इसके अलावा, पूर्वी क्षेत्र में, 23 जलाशयों में से 7 में भंडारण क्षमता से 50 प्रतिशत से कम था. असम में पानी सामान्य से डेढ़ गुना ज्यादा है, जबकि पश्चिम बंगाल, नागालैंड, त्रिपुरा और बिहार में पानी सामान्य से कम है. सीडब्ल्यूसी डेटा से पता चला कि स्तर 12.968 बीसीएम पर 20.430 बीसीएम लाइव स्टोरेज का 63.5 प्रतिशत (66 प्रतिशत) था. वहीं, पश्चिमी क्षेत्र में, महाराष्ट्र में स्तर पिछले सप्ताह के 9 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत हो गया, जबकि गुजरात में यह 33 प्रतिशत से सुधरकर सामान्य से 36 प्रतिशत ऊपर हो गया. 49 जलाशयों में से कोई भी नहीं भरा था और उनमें से 12 क्षमता के 50 प्रतिशत से कम भरे हुए थे.
कुल मिलाकर, क्षेत्र में भंडारण 37.130 बीसीएम क्षमता का 65 प्रतिशत (67 प्रतिशत) 24.318 बीसीएम था. अल नीनो के प्रभाव को देखते हुए विभिन्न वैश्विक मॉडलों के अनुसार फरवरी और मार्च गर्म रहने की भविष्यवाणी की गई है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो सकती है.