झारखंड राज्य में इस साल लगातार हो रही भारी बारिश (अतिवृष्टि) ने खरीफ सीजन की फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है. खेतों में खड़ी धान, मक्का, दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की फसलें पानी में डूब गई हैं. मौसम विभाग की रिपोर्ट बताती है कि इस बार सामान्य से 72 प्रतिशत ज्यादा वर्षा हुई है, जिससे खेतों में जलभराव और फसलों के सड़ने की स्थिति पैदा हो गई.
राज्य सरकार ने हालात का आकलन करने के लिए जिलावार रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है. कृषि विभाग की ओर से अंतिम रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसके आधार पर किसानों को मुआवजा दिया जाएगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी किसान को नुकसान झेलने के बाद अकेला नहीं छोड़ा जाएगा.
सरकार आपदा राहत कोष से प्रभावित किसानों को आर्थिक सहायता देगी. सिंचित भूमि पर 33 प्रतिशत से अधिक फसल खराब होने पर 17 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर और असिंचित भूमि पर 8,500 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जाएगा.
कितनी हुई वर्षा और कहां-कहां सबसे ज्यादा असर?
राज्य में इस साल अब तक 763 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है. पांच जिले ऐसे हैं जहां सामान्य से डेढ़ सौ प्रतिशत से अधिक वर्षा हुई है. इनमें सबसे ज्यादा लोहरदगा जिला प्रभावित हुआ है, जहां सामान्य से 300 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई. इसके अलावा सरायकेला में 240 प्रतिशत, रांची में 196 प्रतिशत, चतरा में 177 प्रतिशत और खूंटी में 153 प्रतिशत अधिक बारिश हुई. इन जिलों में खेत पूरी तरह जलमग्न हो गए और किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा.
सीएम ने दिए अधिकारियों को निर्देश
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि प्रभावित किसानों का सर्वे तुरंत किया जाए और जिलावार रिपोर्ट तैयार कर जल्द से जल्द राज्य सरकार को भेजी जाए. ताकि किसानों को राहत पहुंचाने का काम तेजी से शुरू किया जा सके. सरकार ने यह भी साफ किया है कि किसी भी किसान को 2,000 रुपये से कम का मुआवजा नहीं मिलेगा.
मुआवजे का नियम
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सिंचित भूमि पर 33% से अधिक नुकसान पर 17,000 रुपये प्रति हेक्टेयर.
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असिंचित भूमि पर 33% से अधिक नुकसान पर 8,500 रुपये प्रति हेक्टेयर.
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न्यूनतम मुआवजा 2,000 रुपये प्रति किसान तय.
खरीफ फसलें बुरी तरह प्रभावित
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस बार खरीफ सीजन में धान को छोड़कर लगभग सभी फसलों की खेती कम हुई है.
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धान : 18 लाख हेक्टेयर लक्ष्य, 90% उपलब्धि, 10% की कमी.
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मक्का : 3.10 लाख हेक्टेयर लक्ष्य, 64% उपलब्धि, 36% की कमी.
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दलहन : 6 लाख हेक्टेयर लक्ष्य, 42% उपलब्धि, 58% की कमी.
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तिलहन : 60 हजार हेक्टेयर लक्ष्य, 36% उपलब्धि, 64% की कमी.
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मोटा अनाज : 70 हजार हेक्टेयर लक्ष्य, 44% उपलब्धि, 56% की कमी.
किस फसल पर सबसे ज्यादा असर
सबसे ज्यादा नुकसान तिलहन को हुआ है, जिसकी खेती 64% कम हुई. इसके बाद दलहन की खेती में 58%, मोटे अनाज में 56% और मक्का में 36% की कमी देखी गई. धान की खेती अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है, जहां सिर्फ 10% की कमी दर्ज की गई.