प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मोदी सरकार की सफल योजनाओं में से एक है. किसान इस योजना के तहत अपने फसल का बीमा कराकर विभिन्न कारकों से हुई फ़सल बर्बादी (नुकसान) की भरपाई कर सकता है. सबसे पहले किसान अपनी फसल की सुरक्षा के बदले में कुछ राशि बीमा करने वाली कंपनी (बैंक) में जमा करता है. इस जमा हुई राशि को उस फसल का सेविंग एसेट प्रीमियम कहते है. जब कभी किसान की फसल का नुकसान विभिन्न कारकों से होता है तो कंपनी (बैंक) उसकी भरपाई के लिए किसान को कुछ राशि दे देती है. इसी राशि को रीफंडिंग प्रीमियम एसेट कहते हैं.
अब पीएम फसल बीमा के योजना के तहत किसानों द्वारा जमा की जाने वाले प्रीमियम राशि को बढ़ाया जा सकता है. एक सरकारी अधिकारी ने एक समाचार पत्र को बताया है कि नए फार्म इंश्योरेंस स्कीम में केंद्र सरकार कुछ बदलाव करने जा रही है. इसमें प्रीमियम बढ़ाया जाना एक मुख्य है. इस योजना की शुरुआत पीएम मोदी के पहले कार्यकाल 2016 में की गई थी.
साल 2016 में फसल बीमा योजना उन किसानों के लिए अनिवार्य हो गया था जो लोन लेकर खेती करते थे. अगर मौजूदा समय की बात की जाए तो देश के कुल किसानों की संख्या का 58 प्रतिशत लोग लोन लेकर खेती करते हैं.
कीमत बढ़ने के कारण
समाचार पत्र से अपनी पहचान न बताने की शर्त पर दूसरी इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारी ने बताया है कि अब इस स्कीम को लोन लेकर खेती करने वाले किसानों के लिए वैकल्पिक कर दिया चुका है जिससे इस स्कीम के तहत बीमा लेने वालों की संख्या में कमी आ सकती है. जिसके परिणाम स्वरूप इस फैसले को लिया जा रहा है.
एक ही कंपनी के पास है फसल बीमा की जिम्मेदारी
इस मौजूदा वक्त में फसल बीमा के 5 रडार हैं लेकिन अब नए नियम के तहत किसानों के लिए विकल्प खुल जाएंगे, किसान अपनी जरूरत के अनुसार से इसे चुन सकेगें. वर्तमान समय में फसल बीमा का लाइसेंस एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (AICIL) के पास है. AICIL के मुख्य प्रबंध निदेशक मलय कुमार पोदार ने बताया है कि वे सरकार के गाइडलाइन का इंतजार कर रहे हैं. केवल इसी कंपनी ने इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDA) मंजूरी मांगी है ताकि कृषि क्षेत्र के अन्य वर्टिकल्स के लिए कुछ प्रोडक्ट्स उतारे जा सकें.