किसानों की उगाई हुई फसल कभी-कभी ख़राब हो जाती है, क्योंकि उसमें कीट लग जाते हैं और फसल को ख़राब कर देते हैं. नतीजतन किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है और कुछ ऐसी ही ख़बर पंजाब (Punjab) से भी आ रही है. जी हां, राज्य के कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पंजाब में कपास की खेती (Cotton Farming) के तहत कुल 3.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग एक तिहाई (33%) गुलाबी बॉलवर्म कीट (Pink Bollworm) का हमला है.
तेज़ी से फैल रहा पिंक बॉलवर्म (Fast spreading pink bollworm)
कपास उत्पादकों और कृषि विभाग की चिंताओं को बढ़ाते हुए, कीट तेजी से अपना जाल फैला रहा है क्योंकि यह कई जिलों, विशेष रूप से मनसा (Mansa) और बठिंडा (Bhatinda) में आर्थिक स्तर से ऊपर है. इसका अर्थ है कि एक पत्ती में छह से अधिक वयस्क गुलाबी सूंडी कीट मौजूद हैं.
आर्थिक दहलीज एक ऐसा स्तर है जिस पर कीट को नियंत्रित करने की लागत की तुलना में मौद्रिक रिटर्न अधिक रहता है. राज्य सरकार ने कीट के हमले के बाद कपास की फसल को हुए नुकसान का पता लगाने के लिए विशेष मूल्यांकन का आदेश दिया है.
खड़ी फसल की हुई जुताई (Ploughing of standing crops)
कृषि विशेषज्ञों को डर है कि कीटों का हमला एक ऐसे चरण में प्रवेश कर गया है, जिसमें न केवल फसल की पैदावार कम होगी, बल्कि किसानों को भारी वित्तीय नुकसान भी होगा. बठिंडा और मनसा में कई किसानों ने अपनी खड़ी फसल की जुताई कर दी है, क्योंकि यह कीट के हमले के कारण पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है.
राज्य के कृषि आयुक्त बीएस सिद्धू ने कहा कि विभाग पिंक बॉलवर्म के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए किसानों को सभी प्रकार की साजो-सामान और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा. साथ ही उन्होंने कहा, हम स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए हैं.
कृषि निदेशक सुखदेव सिंह सिद्धू ने कहा कि राज्य सरकार के आदेश के बाद ही नुकसान का सही अंदाजा लगाया जा सकता है. कीट का हमला बिखरा हुआ है. और कीट हमले के प्रभाव के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी इकट्ठा करने के लिए अधिकारी नियमित आधार पर क्षेत्र सर्वेक्षण कर रहे हैं ताकि सुधारात्मक उपाय किए जा सकें.
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संगरूर के मुख्य कृषि अधिकारी जसविंदरपाल सिंह ग्रेवाल ने कहा कि सुनाम और लहरगागा उप-मंडलों में 2,600 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की खेती होती है. और कीट ने अभी तक यहां आर्थिक दहलीज को पार नहीं किया है. लेकिन यह तेजी से एक खेत से दूसरे खेत में फैल रहा है जो चिंता का विषय है.
2015 के बाद पहला बड़ा हमला (First major attack since 2015)
एक अधिकारी ने कहा कि 2015 के बाद से राज्य में कपास की फसल पर यह पहला बड़ा कीट हमला है, जब सफेद मक्खी के गंभीर हमले की सूचना मिली थी. फसल को व्यापक नुकसान हुआ था क्योंकि कुल क्षेत्रफल का लगभग 75% कीटों के हमले का सामना करना पड़ा था.
कपास की पैदावार 2014 में 544 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की तुलना में घटकर 197 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रह गई थी. कपास का उत्पादन 13.47 लाख गांठ से गिरकर 3.86 लाख गांठ रह गया है.