नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद करेंगे कृषि जागरण के 'मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स' के दूसरे संस्करण की जूरी की अध्यक्षता Millets Varieties: बाजरे की इन टॉप 3 किस्मों से मिलती है अच्छी पैदावार, जानें नाम और अन्य विशेषताएं Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान! आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Organic Fertilizer: खुद से ही तैयार करें गोबर से बनी जैविक खाद, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन

हाल ही में उच्चतम न्यायालय की पांच जजों की बेंच ने अपने एक फैसले में कापरेटिव बैंक को बैंकिंग कंपनी मानते हुए कहा कि ऋण वसूली के लिए कापरेटिव बैंक एस.ए.आर. एफ. ए. इ. एस. आइ एक्ट (sarfaesi) अर्थात सिक्योरेटाइजेशन एंड रीकन्सट्रक्सन आफ फाइनेंशियल असेट एंड एनफोर्समेंट आफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट,का प्रयोग कर सकते हैं. इस फैसले के बाद कापरेटिव बैंको के लिए तेजी से ऋण वसूली संभव हो सकेगी.

एस. ए. आर. एफ. एम. इ.एस.आइ एक्ट को 2002,में पारित किया गया था, इसका उद्देश्य बैंको को ऋण वसूली के लिए अधिक सक्षम बनाना था. इस अधिनियम के तहत बैंक लोन के लिए बंधक रखी संपत्ति को बिना न्यायिक हस्तक्षेप के अधिग्रहीत कर सकते हैं, बेच सकते हैं. इसके अलावा यदि बैंक चाहें तो वो दिए गये ऋण की शर्तो में बदलाव कर सकते हैं. उदाहरण के लिये यदि बैंक चाहे तो वो लोन की अवधि बढा सकते हैं, तथा ब्याज दरों में भी परिवर्तन कर सकते हैं.

विदित हो कि सरकार ने 2003 में एक नोटिफिकेशन जारी करके कापरेटिव बैंको को भी इस एक्ट के दायरे में ले लिया, इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में वाद दाखिल किया गया जिस पर तीन जजो की बेंच ने निर्णय देते हुए कहा कि कापरेटिव बैंक अलग अलग एक्ट के तहत बनाय जाते हैं, अतः ये बैंकिंग कंपनी नहीं माने जा सकते हैं.-सन 2013 में सरकार ने एस. ए. आर. एफ. ए. इ. एस. आई. एक्ट में फिर संशोधन किया, जिस पर निर्णय देते हुए उच्चतम न्यायालय की पांच जजो की बेंच ने कहा कि कापरेटिव बैंक बैंकिंग सेवाओं को प्रदान करते हैं, अतः इन्हें भी बैंकिंग कंपनी माना जाएगा. न्यायालय के इस निर्णय के बाद कापरेटिव बैंक भी ऋण वसूली के लिए एस. ए. आर. एफ. ए.इ .एस.आई.एक्ट का प्रयोग कर सकते हैं. जिससे तीव्रता से ऋण वसूली संभव हो सकेगी.

इस समय  एन. पी. ए. की समस्या भारतीय बैंकिंग व्यवस्था के आगे यक्ष प्रश्न की तरह खड़ी है. पंजाब व महाराष्ट्र कापरेटिव बैंक घोटाला सामने आया है, तब कापरेटिव बैंको को ऋण वसूली में अधिक सक्षम बनाकर स्थिति में कुछ सुधार अवश्य किया जा सकता है, परंतु सरकार को ये भी सुनिश्चित करना चाहिए कि बैंक छोटे ऋणधारको का वसूली के नाम पर उत्पीड़न न करें.

English Summary: Cooperative banks will get empowerement with this decisions
Published on: 08 May 2020, 02:13 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now