आज के दौर में महिलाओं का सशक्त होना बेहद जरूरी है, फिर चाहे वो शहरी महिला हो, या ग्रामीण महिला. महिलाओं का सशक्त होना, ना केवल उनके खुद के लिए जरुरी है, बल्कि समाज के लिए भी ये उतना ही जरुरी है. क्योंकि उनका आगे बढ़ना और सशक्त होना पूरे समाज को एक नई पहचान दिलाता है.
जरुरी नहीं कि सिर्फ आईटी सेक्टर में काम करने वाली महिला या फिर डॉक्टर, इंजीनियर या बड़ी- बड़ी कंपनियों में काम कर रही महिलाएं ही सशक्त हों या उन्हें ही हम सशक्त कहें, बल्कि कृषि के क्षेत्रों में भी काम कर रही महिलाओं को आगे लेकर आना और उनमें आत्मविश्वास बढ़ाना की वो इस क्षेत्र में भी काम कर खुद को एक नई पहचान दिलाकर सशक्त बन सकती हैं. इसी प्रयास के तहत सरकार ने कई कदम उठाए हैं, ताकि ग्रामीण महिलाओं को भी आर्थिक और मानशिक रूप से सशक्त बनाया जा सके.
योजना के तहत पहला कार्यक्रम हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से राज्य के हिसार जिले में स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया. उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र और सक्षम बनाने के लिए, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने डेयरी फार्मिंग में महिलाओं के लिए एक देशव्यापी प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का कार्यक्रम शुरू किया है.
आयोग डेयरी फार्मिंग और संबद्ध की गतिविधियों से जुड़ी महिलाओं की अपनी पहचान और प्रशिक्षण के लिए पूरे भारत में कृषि विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग कर रहा है. इन गतिविधियों में मूल्यवर्धन, गुणवत्ता वृद्धि, पैकेजिंग और डेयरी उत्पादों की मार्केट भी शामिल हैं. भारत सरकार के मुताबिक देश में खेतिहर के रूप में कृषि में महिलाओं की भागीदारी 3.60 करोड़ है. यानी 30. 33 %. जबकि महिला कृषि श्रमिक के रूप में 6.15 करोड़ महिलाएं हैं. जो कुल कृषि मजदूरों का 42.67 % रखता है.
जानिए क्या है स्कीम
योजना के तहत पहला कार्यक्रम हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से राज्य के हिसार जिले में स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया. यह कार्यक्रम महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के लिए ‘मूल्य वर्धित डेयरी उत्पाद’ के विषय पर आयोजित किया गया था. जिसका शुभारंभ करते हुए, एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष श्रीमती रेखा शर्मा ने कहा कि आर्थिक रूप से स्वतंत्रता महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण भारत की महिलाएं डेयरी फार्मिंग के हर हिस्से में शामिल हैं, फिर भी वे आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने में असमर्थ हैं. आर्थिक रूप से उन्हें अपने घरों या पतियों पर निर्भर रहना पड़ता है.
एनसीडब्ल्यू का लक्ष्य अपनी परियोजना के माध्यम से महिलाओं को डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने, उनके मूल्यवर्धन, पैकेजिंग और शेल्फ लाइफ को बढ़ाने तथा उनके उत्पादों के व्यापार से जुड़ा प्रशिक्षण देकर सशक्त करना और आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने में उनकी मदद करना है. महिला आयोग महिलाओं की उनकी पूरी क्षमता हासिल करने और एक स्थायी अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान देने में मदद करने के लिए काम कर रही है.
आयोग हमेशा महिलाओं की समानता के लिए खड़ा रहा है, क्योंकि यह पूरी दृढ़ता से मानता है कि तब तक अर्थव्यवस्था सफल नहीं हो सकता जब तक हम अपनी आधी आबादी को उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने से रोकेंगे या उन्हें घर में रखकर उनकी काबिलियत को कम आंकने की कोशिश करेंगे. महिलाऐं हर वो काम करने में सक्षम हैं जो एक पुरुष कर सकता है, लेकिन फिर भी हमारे देश के कई जगहों पर उन्हें काम करने से रोका जाता है या गया है. आज के दौर में महिला पुरुष के कदम से कदम मिलाकर चलने में सक्षम हैं.
एनसीडब्ल्यू का मकसद डेयरी फार्मिंग क्षेत्र में विस्तार संबंधी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए वैज्ञानिक प्रशिक्षण और व्यावहारिक विचारों की एक श्रृंखला के माध्यम से महिला किसानों और स्वयं सहायता समूहों की मदद करना है.
आयोग महिलाओं को उनके व्यवसाय को बढ़ाने और उन्हें उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करेगा. एनसीडब्ल्यू ऐसे प्रशिक्षकों का भी चयन करेगा जो महिला उद्यमियों, महिलाओं द्वारा संचालित दूध सहकारी समितियों, महिला स्वयं सहायता समूहों आदि को उनके क्षेत्र में प्रशिक्षित करेंगे.