आम उत्पादन करने वाले किसानों और बागवानों के लिए हाल ही में मैंगो बाबा मोबाइल ऐप (MangoBaba Mobile App Launch) लॉन्च की गयी है. उत्तर प्रदेश स्थित लखनऊ के केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH) के निदेशक डॉ शैलेन्द्र राजन (Dr. Shailendra Rajan) ने ऐप को पेश किया है. उनके मुताबिक कार्बाइडमुक्त आम को किसानों से सीधे ग्राहकों तक पहुंचाने का यह सबसे बेहतर तरीका साबित होगा. ग्राहकों को अच्छी क्वॉलिटी के आम मिलने के साथ किसानों को भी इसका लाभ मिल सके, इस उद्देश्य से ऐप को संस्थान द्वारा लाया गया है.
आम की किस्मों से बनी आइसक्रीम का भी उठा सकते हैं लुत्फ़
संस्थान के निदेशक के मुताबिक यह ऐप न केवल स्वादिष्ट और उत्तम क्वॉलिटी के आम उपलब्ध कराएगी बल्कि संस्थान के उद्यमियों द्वारा बनाए गए आम के मूल्य संबंधित उत्पाद को भी उपलब्ध कराने में मददगार साबित होगी. आम की विभिन्न किस्म हैं जिनसे बनायी गयी आइसक्रीम भी सीधे ग्राहकों तक पहुंचेगी. इसके साथ ही युवा उद्यमियों द्वारा इस ऐप का इस्तेमाल किसानों से आम बाग से लेकर संस्थान की स्वचालित पैकेजिंग लाइन में परिष्कृत कर शहर के विभिन्न भागों में पहुंचा कर उद्यमिता विकास में किया जाएगा. इतना ही नहीं, इस ऐप की मदद से आम की सप्लाई चेन से जुड़े लोग ऑफलाइन बिक्री भी कर पाएंगे.
हॉट-वॉटर ट्रीटमेंट के बाद की जाती है पैकिंग
बाग से आम तुड़ाई के बाद उनकी सफाई करते हुए हॉट-वॉटर ट्रीटमेंट दिया जाता है जिससे उन्हें जीवाणुरहित बनाया जाता है और फिर पैकिंग की जाती है. कार्बाइड के बिना ही इथाईलीन गैस की मदद से आम को पकाया जाता है. आम की तुड़ाई से लेकर पैकेजिंग तक का काम ऑटोमेटिक मशीन द्वारा संस्थान की तरफ से दी गई सलाह के अनुसार ही किया जाता है. फार्मर फर्स्ट परियोजना के तहत किसानों को कार्बाइड एवं कीटनाशकरहित आम उत्पादन करने का प्रशिक्षण दिया जाता है.
दुर्लभ आम की किस्मों की बिक्री के प्रयास में संस्थान
मलिहाबाद की कई दुर्लभ आम की किस्मों की बिक्री के लिए ही संस्थान इस तरह के प्रयास कर रहा है. ये आम की दुर्लभ किस्में लखनऊ के बाजारों में उपलब्ध नहीं हैं लेकिन मलिहाबाद के बागवान इन किस्मों के जानकार हैं. उन्हें इन आमों के स्वाद और उनकी खासियत की अच्छी पहचान भी है. संस्थान के मुताबिक ज्यादातर आम का व्यवसाय दशहरी, चौसा, लंगड़ा और लखनउवा के ऊपर ही निर्भर है. बाकी आम की किस्मों के उत्पादक मंडी में अपनी जगह नहीं बना पाते हैं और अगर पहुंच भी जाएं तो उन्हें अपने उत्पाद की सही कीमत नहीं मिल पाती है.
डॉ शैलेन्द्र राजन ने बताया कि ये ख़ास किस्में मलिहाबाद क्षेत्र के लिए विरासत हैं और यदि इन्हें बचाने के लिए इनकी बिक्री के बारे में न सोचा गया, तो निकट भविष्य में आम की खेती करने वाले किसान और बागवान इन किस्मों को अपने बागों में जगह नहीं देंगे. यही वजह है कि समय के अनुसार इन कम प्रचलित आम की किस्मों की मांग को बढ़ावा देने के लिए ही मैंगो बाबा ऐप लायी गयी है. उम्मीद है कि यह योजना इन दुर्लभ किस्मों के विस्तार में कारगर साबित होगी.
ऐसे डाउनलोड करें ऐप (MangoBaba Mobile App Download)
अगर आप भी इस ऐप का लाभ उठाना चाहते हैं तो आप अपने मोबाइल के गूगल प्ले स्टोर (google play store) में जाकर इसे डाउनलोड कर सकते हैं.