चीन से पैदा हुआ कोरोना अब इस कदर विकराल हो चुका है कि यह पूरी दुनिया को तबाह करने पर आमादा है. कल तक लोगों की आमद से गुलजार रहने वाली गलियों को यह वायरस वीरान कर चुका है. कल तक जिन चेहरों में मुस्कुराहट का ठिकाना रहता था. आज वही चेहरे खामोश हो चुके हैं. जब पहली दफा चीन के वुहान शहर से कोरोना का कहर पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रहा था, तो सब खौफजदा हो चुके थे. उस वक्त विश्व बिरादरी के समक्ष ड्रैगन लोगों के नजरों में खूब चढ़ा था.
अमेरिका ने चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और संयोग देखिए की उसी वक्त भारत का चीन के साथ सीमा विवाद भी शुरू हो गया, जिसके चलते यह तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका था, लेकिन उन दिनों भारत को लगातार अमेरिका का साथ मिलता रहा. विश्व के सभी देशों ने चीन के खिलाफ साझा कार्रवाई करने का मन बनाया, लेकिन अफसोस अभी तक फिलहाल उसके खिलाफ कोई ऐसी कार्रवाई तो नहीं हुई, जिसकी सराहना की जा सके, मगर हां.. भारत ने जरूर कई मौकों पर चीन के खिलाफ डिजिटल स्ट्राइक की थी.
वहीं, अब जब कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई पूरी एक साल की हो चुकी है, तो इस बीच कई देशों ने कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाई है. इस बीच चीन ने भी कोरोना की वैक्सीन बनाई. उसे ऐसा लगा था कि वो अपनी इस वैक्सीन के सहारे कूटनीतिक चाल चलकर पूरे विश्व को अपने पक्ष में कर सकेगा, लेकिन अफसोस ऐसा हुआ नहीं उसकी वैक्सीन को विश्व बिरादरी में वो स्वीकारोक्ति प्राप्त नहीं हो पाई, जिसकी उसे उम्मीदें थी. उसे ऐसा लगा था कि वो अपनी इस वैक्सीन से पूरे विश्व को खुश करने में कामयाब रहेगा, लेकिन अफसोस उसकी यह वैक्सीन उतनी कारगर साबित नहीं हुई, जितनी की वो सोच रहा था. अब हालात ऐसे बन चुके हैं कि उसके अपने ही लोग इस वैक्सीन के खिलाफ उठ खड़े हो रहे हैं. उसके अपने ही लोगों को चीन द्वारा बनाई गई वैक्सीन पसंद नहीं आ रही है. वे सभी लोग चीन द्वारा बनाई गई इस वैक्सीन का विरोध कर रहे हैं. चीन के लोगों का कहना है कि उसके द्वारा बनाई गई वैक्सीन कोरोना के खिलाफ उतनी कारगर साबित नहीं हो पा रही है.
अब हालात ऐसे बन चुके हैं कि चीन अपनी वैक्सीन को बेचने के लिए नए-नए ऑफर ला रहा है, किसी को फ्री राशन, तो किसी को मुफ्त शॉपिंग जैसे स्कीम के जरिए वे अपने वैक्सीन को खत्म करने की जुगत में जुट चुका है, लेकिन लोग हैं की ड्रैगन की बात मानने को तैयार ही नहीं हो रहे हैं. उन्हें खुद की बनाई वैक्सीन पर भरोसा नहीं हो रहा है. खैर, अब ऐसे में चीन आगे चलकर क्या कुछ कदम उठाता है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा.
हालांकि, इससे पहले चीन ने भारत को अपनी वैक्सीन बेचने का ऑफर दिया था, लेकिन भारत समेत अन्य यूरोपीय देशों ने भी चीन की वैक्सीन लेने से साफ इनकार कर दिया था. भारत समेत अन्य देशों का यही कहना है कि उन्हें अपनी बनाई गई वैक्सीन पर भरोसा नहीं है, लिहाजा वे चीन द्वारा बनाई गई वैक्सीन को कतई स्वीकार नहीं करेंगे.