भारत में कृषि के साथ-साथ पशुपालन को भी एक रोजगार के रूप में देखा जाता है. ग्रामीण इलाकों में आज भी काफी लोग पशुपालन करते हैं और आमदनी प्राप्त करते हैं. खेती में जिस प्रकार अलग-अलग फसलों की खेती होती है, उसी तरह से पशुपालन में भी अलग-अलग पशुओं का पालन किया जाता है जैसे बकरी पालन, गाय पालन, भैंस पालन, मुर्गी पालन इत्यादि.
ऐसे में जो किसान खेती-बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन को भी अपनी आय का जरिया बनाना चाहते हैं, वो किसान भैंस पालन कर सकते हैं. भैंस पालन के जरिये दूध के साथ-साथ गोबर को भी बेचकर पैसा कमा सकते हैं. आइये आज हम आपको भैंस की अच्छी नस्ल भदावरी के बारे में बताते हैं-
भदावरी भैंस पालन (Bhadavari Buffalo Farming)
भदावरी भैंस एक अच्छी नस्ल है, वहीं यह दूध भी ज्यादा देती है. यह ज़्यादातर ईटावा और उत्तर प्रदेश के आगरा जिले और मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में पायी जाती है. इसका कद दूसरी प्रजातियों से छोटा होता है. वहीं इसके आकर की बात करें तो शरीर नुकीला, छोटा सिर, छोटी और मजबूत टांगे, काले खुर, एकसमान पुट्ठे, कॉपर या हल्के भूरे रंग की पलकें और काले रंग के सींग होते हैं. यह प्रति ब्यांत में औसतन 800-1000 लीटर दूध देती है. इसके दूध में फैट की मात्रा 6-12.5 प्रतिशत होती है.
भदावरी भैंस का खुराक (Dosage of Bhadavari Buffalo)
कई बार किसान पशुओं को स्वस्थ और ज्यादा उत्पादन की लालच में उनकी खुराक को बढ़ा देते है, लेकिन इस नस्ल के साथ आपको यह ध्यान रखना होगा. इस नस्ल की भैंसों को जरूरत के अनुसार ही खुराक दें. फलीदार चारे को खिलाने से पहले उसमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें, ताकि अफारा या बदहजमी ना हो.
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फसलों की तरह ही पशुओं को भी सभी पर्यावरण और अनुकूल मौसम की आवश्यकता होती है. इससे उसके उत्पादन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. अच्छे प्रदर्शन के लिए, जरुरी है की पशुओं को उनके अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों में हीं रखा जाए. पशुओं को भारी बारिश, तेज धूप, जाड़े से बचाने के लिए शेड की आवश्यकता होती है. यह भी ध्यान रखना होगा की उसमें पशुओं के अनुकूल सभी सुविधाएं हो.
पशुओं की संख्या के अनुसार भोजन के लिए बड़ी और खुली जगहों का भी होना अनिवार्य है, ताकि वे आसानी से भोजन खा सकें.