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Updated on: 15 October, 2025 2:10 PM IST
Centre of Excellence for FPOs, Symbolic Picture

डॉ. कलाम युवा नेतृत्व सम्मान, राज्य स्तरीय MFOI से सम्मानित, ओरिएंट बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नामित तथा भारतीय कृषि पत्रकार संघ (AJAI), बिहार के अध्यक्ष रौशन कुमार ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कुलपति को किसान उत्पादक संगठन उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence for FPOs) स्थापित करने हेतु प्रस्ताव दिया है.

उन्होंने कहा है कि राज्य के FPOs को दीर्घकालिक संस्थागत सहयोग, प्रशिक्षण और बाजार से बेहतर जुड़ाव प्रदान करने के उद्देश्य को किसान उत्पादक संगठन उत्कृष्टता केंद्र पूरा करेगा. बताया है कि सरकारी सहायता समाप्त होने के बाद कई FPOs तकनीकी और संस्थागत समर्थन के अभाव में निष्क्रिय हो जाते हैं. यह केंद्र उन स्वतंत्र और स्व-वित्तपोषित FPOs को भी पेशेवर मार्गदर्शन, तकनीकी और बाजार से जुड़ने में महत्पूर्ण सहयोग करेगा, जो बिना किसी सरकारी सहायता या संस्थागत के साथ काम कर रहे हैं.

उन्होंने आगे लिखा है केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं के तहत बिहार में बड़ी संख्या  में FPOs का गठन हुआ है. हालांकि, इन संगठनों को अक्सर पेशेवर प्रबंधन, वित्तीय साक्षरता और प्रभावी बाजार संपर्क की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे वे अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाते. FPOs को केवल बीज और उर्वरक की नहीं, बल्कि नवाचार, ज्ञान और बाजार तक सीधी पहुंच की भी आवश्यकता है ताकि वे वास्तव में आत्मनिर्भर बन सकें. इस पृष्ठभूमि में, विश्वविद्यालय से ऐसी संरचनात्मक व्यवस्था तैयार करने का आग्रह किया गया है जो FPOs को मजबूती प्रदान कर सके.

बिहार आज देश में एफपीओ की संख्या के मामले में चौथे स्थान पर है, जो हमारे किसानों की सामूहिक शक्ति और क्षमता को दर्शाता है. हालांकि, ईओडीबीएफ (एफपीओ के लिए व्यापार करने में आसानी) सूचकांक में बिहार 9वें स्थान पर है, जो यह संकेत देता है कि राज्य में एफपीओ के लिए नीतिगत और संस्थागत ढांचे में अभी सुधार की आवश्यकता है. महाराष्ट्र जैसे राज्य में लगभग 15,000 एफपीओ हैं, जबकि बिहार में यह संख्या मात्र 1,600 के आसपास है. यह अंतर केवल संख्या का नहीं, बल्कि नीतिगत समर्थन और संरचनात्मक सुविधाओं की उपलब्धता का है.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा को इस उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए सबसे उपयुक्त स्थान बातते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय के पास कृषि अनुसंधान, नवाचार और किसान हितैषी कार्यक्रमों का समृद्ध अनुभव है, साथ ही कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) का एक विशाल नेटवर्क और अनुभवी विशेषज्ञों की टीम भी उपलब्ध है, जो राज्य के FPOs को नई दिशा दे कर नए आयाम बनाने में सक्षम है.

प्रस्तावित केंद्र के प्रमुख उद्देश्यों में व्यवसाय प्रबंधन, लेखांकन और विपणन पर विशेष प्रशिक्षण, व्यवसाय योजना बनाने में तकनीकी एवं वित्तीय मार्गदर्शन, बड़े खरीदारों और निर्यातकों से सीधा बाजार जुड़ाव, तथा नई कृषि तकनीकों और नवाचारों का प्रसार शामिल हो.

इसके अतिरिक्त, यह केंद्र एक थिंक-टैंक के रूप में कार्य करें, जो FPOs से प्राप्त जमीनी डेटा और अनुभवों के आधार पर राज्य और केंद्र सरकार को नीतिगत सुझाव प्रदान करेगा. रौशन कुमार ने विश्वविद्यालय के कुलपति से इस दिशा में ठोस पहल करते हुए वरिष्ठ विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का भी आग्रह किया है, जो इस उत्कृष्टता केंद्र की रूपरेखा, नीतिगत ढांचा और संचालन मॉडल तैयार करे.

कुमार ज्योति प्रकाश, चेयरमैन मुंडेश्वरी फेड फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, रोहतास बताते हैं  ईओडीबीएफ सूचकांक के पहले मानक के अनुसार, राज्य-स्तरीय एफपीओ नीति और दिशानिर्देशों की उपस्थिति के साथ-साथ एफपीओ को समर्थन देने वाले सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE) या एक्सीलरेशन सेंटर्स की स्थापना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि इंडेक्स के छह मानकों में से पाँच पर बिहार की स्थिति संतोषजनक है, लेकिन पहला मानक यानी राज्य-स्तरीय एफपीओ नीति और एक्सीलरेशन सेंटर्स की अनुपस्थिति हमारी प्रगति को धीमा कर रहा है.

बिहार में फिलहाल इस दिशा में ठोस पहल नहीं हुई है, जिसके कारण राज्य एफपीओ विकास के क्षेत्र में पीछे रह गया है. ऐसे समय में राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, पुसा में एफपीओ एक्सीलरेशन सेंटर स्थापित करने का प्रस्ताव अत्यंत सराहनीय कदम है. यह न केवल किसानों को प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग प्रदान करेगा, बल्कि एफपीओ के गठन और संचालन को भी मजबूत बनाएगा.

बिहार के पास विशाल कृषि क्षमता है और यदि इस प्रस्ताव को शीघ्र स्वीकृति प्रदान करती है, तो यह राज्य में एफपीओ नीति निर्माण और उनके त्वरित विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित होगा. इस पहल का पूरी तरह समर्थन करता हूँ और जल्द से जल्द बिहार में एफपीओ एक्सीलरेशन सेंटर्स और राज्य-स्तरीय एफपीओ नीति लागू की जाए. इससे बिहार कृषि और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो सकेगा.

यह प्रस्ताव बिहार के कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने की क्षमता रखता है. यदि डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर इस मांग पर विचार करता है, और जमीनी रूप पर लगने में सफल होता है तो यह पहल राज्य के हजारों किसान उत्पादक संगठनों के लिए आर्थिक और तकनीकी आत्मनिर्भरता की राह खोल सकती है, जिससे कृषि अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी. और यह एफपीओ के क्षेत्र में एक नया आयाम होगा.

English Summary: centre of excellence for FPOs proposed at RPCAU by AJAI Bihar president Raushan Kumar
Published on: 15 October 2025, 02:16 PM IST

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