GFBN Story: अपूर्वा त्रिपाठी - विलुप्तप्राय दुर्लभ वनौषधियों के जनजातीय पारंपरिक ज्ञान, महिला सशक्तिकरण और हर्बल नवाचार की जीवंत मिसाल खुशखबरी: ढेंचा उगाने पर राज्य सरकार देगी 1,000 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि, जानें कैसे उठाएं योजना का लाभ छत या बालकनी में करें ग्रो बैग से खेती, कम लागत में मिलेगा अधिक मुनाफा, जानें पूरी विधि किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ Diggi Subsidy Scheme: किसानों को डिग्गी निर्माण पर मिलेगा 3,40,000 रुपये का अनुदान, जानें कैसे करें आवेदन फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 12 October, 2023 5:58 PM IST
मसाला फसलों की कार्यशाला में मौजूद किसान व औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी सोलन के अधिकारीगण.

हिमाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां की जलवायु कृषि के लिए बहुत उपयोगी है, लेकिन भौगोलिक समस्याओं के कारण यहां पर सीढ़ीनुमा खेतों में फसल उगाना बेहद ही कठिन है. ऐसे में यहां के किसानों की आय को दोगुना करने के लिए एक नई पहल को अंजाम दिया जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल के किसानों को मसाला फसलों और सुगंधित पौधों की व्यवसायिक खेती करने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी कड़ी में डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में एक राज्य स्तरीय कार्यशाला शुरू की गई है. यह कार्यशाला मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर परियोजना की 'हिमाचल प्रदेश में मसाला फसलों का लोकप्रियकरण' के तहत विश्वविद्यालय के बीज विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित कर रहा है.

इस दो दिवसीय कार्यशाला में राज्य के सभी 12 जिलों के 150 से अधिक किसान भाग ले रहे हैं. इस कार्यशाला में अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान, बागवानी महाविद्यालय के डीन डॉ. मनीष शर्मा, सभी विभागाध्यक्ष, बीज विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक और कृषि विभाग के अधिकारीयों ने किसानों को मसाला फसल उगाने को लेकर जानकारी प्रदान की .

आपकी जानकारी के लिए बता दें इस परियोजना को भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सुपारी और मसाला विकास निदेशालय द्वारा वित्त पोषित किया गया है. कार्यशाला में 150 से अधिक किसानों को मसाला फसलों व सुगन्धित पौधों की खेती को लेकर गहनता से जानकारी प्रदान की गई.

कार्यशाला के दौरान प्रदर्शनी का निरिक्षण करते हुए कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल.

3000 से अधिक किसान हुए लाभान्वित

जानकारी देते हुए बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नरेंद्र भारत ने बताया कि यह परियोजना राज्य में 2015-16 से चल रही है. अब तक 30 से अधिक पंचायत स्तरीय, चार जिला स्तरीय और 1 राज्य स्तरीय किसान सेमिनार आयोजित किए जा चुके हैं,  जिसमें 3000 से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं. उन्होंने बताया कि इस परियोजना के तहत विश्वविद्यालय द्वारा प्रतिवर्ष अदरक, लहसुन, हल्दी, धनिया, मेथी, जंगली गेंदा, तुलसी आदि की 7 क्विंटल से अधिक रोपण सामग्री की आपूर्ति की जा रही है.

सिरमौर जिले में लहसुन का उत्पादन बढ़ा

इस बारें में कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि पिछले कुछ वर्षो से मसाला फसलों की खेती के तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है. केवल सिरमौर जिले में ही लहसुन फसल उत्पादन का क्षेत्र 1600 हेक्टेयर (2015-16) से बढ़कर 4000 हेक्टेयर (2022-23) हो गया है. इस अवधि के दौरान उत्पादन 26500 से बढ़कर 60650 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है और 5360 से अधिक सीमांत और छोटे किसान अपनी आय के लिए पूरी तरह से लहसुन पर निर्भर हैं. विश्वविद्यालय एवं लाइन विभाग द्वारा नवीनतम तकनीक एवं ज्ञान के प्रसार से यह संभव हुआ है.

कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल किसानों व अधिकारीयों का संबोधन करते हुए.

प्रोफेसर चंदेल ने कहा कि दुनिया अब भारतीय भोजन और भारतीय मसालों की ओर आकर्षित हो रही है और उनके स्वास्थ्य लाभ इसका एक बहुत बड़ा कारण हैं. उन्होंने कहा कि यह देखकर बहुत खुशी होती है कि हिमाचल प्रदेश में मसालों की खेती बढ़ रही है और यहाँ पर उगाये जा रही मसाला फसलों की मांग देश भर में हैं, विशेषकर दक्षिणी भारत में खरीदार अपने आप यहाँ आ रहें हैं. विभिन्न मसालों के तहत क्षेत्र बढ़ाने पर बोलते हुए उन्होंने किसानों से अपनी जलवायु परिस्थितियों के अनुसार 2-3 मसाला फसलों की खेती करने का आग्रह किया.

सुगन्धित फसलों की एफपीसी होंगी स्थापित

मसाला एवं सुघन्धित फसलों के लिए हिमाचल में किसानों के समूहों तैयार किया जायेंगे. किसानों को मसाला एवं सुघन्धित फसलों पर आधारित किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) की स्थापना करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा. जो बाजार में उनकी उत्पाद की अच्छी कीमत दिलाने में मदद करेगा. इसके लिए इन एफपीसी को मूल्य संवर्धन और ब्रांडिंग में नौणी विश्वविद्यालय मदद करेगा, जो न केवल बाज़ार में मांग से अधिक मात्रा में उत्पाद पहुँचने के दौरान मदद करेगा बल्कि किसानों की आय को भी बढ़ाएगा.

प्रोफेसर चंदेल ने युवाओं को समूह बनाने और सामूहिक रूप से जंगली गेंदा जैसे सुगंधित पौधों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया. इन फसलों से कटाई के बाद अत्यधिक लाभकारी तेल निकाला जा सकता है. उन्होंने ऐसे किसान समूहों को विश्वविद्यालय की ओर से तकनीकी सहयोग का आश्वासन दिया. उन्होंने किसानों से यह भी कहा कि वे विश्वविद्यालय के साथ मसालों और सुगंधित पौधों की नई किस्मों के बीजों के बड़े पैमाने पर प्रसार में विश्वविद्यालय का समर्थन करें ताकि इन्हें अन्य किसानों को भी उपलब्ध करवाया जा सके.

मसाला फसलों और सुगंधित पौधों पर बनेगा प्राकृतिक खेती मॉडल

इतना ही नहीं हिमाचल के नौनी विश्वविद्यालय में विभिन्न मसाला फसलों और सुगंधित पौधों को प्रदर्शित करने के लिए एक प्राकृतिक खेती मॉडल स्थापित किया जायेगा. विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ इंद्र देव ने विश्वविद्यालय की विभिन्न विस्तार गतिविधियों लेकर बताया कि  भारत मसालों की एक विस्तृत श्रृंखला का एक स्थापित उत्पादक है और विश्व मसाला उत्पादन में एक प्रमुख स्थान रखता है लेकिन इस क्षेत्र में सुधार की व्यापक गुंजाइश है. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे मसाले हर भारतीय घर का अभिन्न अंग हैं. हिमाचल मसाला उत्पादन के लिए बहुत ही उपयोगी क्षेत्र है.

English Summary: central government encouraged Farmers of Himachal Pradesh for farming of spice crops and aromatic plants
Published on: 12 October 2023, 06:11 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now