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Updated on: 27 October, 2022 4:30 PM IST
एसीएफआई के महानिदेशक कल्याण गोस्वामी ने सरकारी आदेश पर प्रतिक्रिया देत हुए कहा है कि देश में खासकर चाय उत्पादक राज्यों के पास कोई प्रभावी कीट नाशक या खरपतवार नाशक उपलब्ध नहीं है. यह फैसला किसानों पर अतिरिक्त श्रम और आर्थिक बोझ डालेगा. (प्रतीकात्मक फोटो-सोशल मीडिया)

26 अक्टूबर की रात सरकार की ओर से जारी किए गए गैजेट में ग्लाइफोसेट पर प्रतिबंध की अधिसूचना जारी की गई. गैजेट में लिखा गया है कि किसान ग्लाइफोसेट का प्रयोग केवल पेस्ट कंट्रोल ऑपरेटर्स (पीसीओ) के माध्यम से ही कर सकेंगे. पीसीओ को खरपतवार और कीटनाशकों के उपचार के लिए उच्च गुण वाले रसायन प्रयोग करने के लिए लाइसेंस दिया गया है. ग्लाइफोसेट के प्रयोग का मामला पिछले दो सालों से केंद्र सरकार की टेबल पर विचाराधीन था.

फसल को जल्द सुखाने के लिए भी किया जाता है प्रयोग

चाय उत्पादक राज्यों में ग्लाइफोसेट का इस्तेमाल एक प्रमुख खरपतवार नियंत्रक के रूप में किया जाता है. ग्लाइफोसेट के स्वास्थ्य प्रभावों पर अध्ययन कर रहे शोधकर्ताओं ने पाया है कि चना की खेती करने वाले किसान इसका प्रयोग फसल को जल्द सुखाने के लिए करते हैं. किसानों और इनके मवेशियों के स्वास्थ्य पर ग्लाइफोसेट के हानिकारक प्रभाव पाए गए हैं. जब भारत में एचटी बीटी कपास की खेती की जाने लगी तो ग्लाइसोफेट का इस्तेमाल कई गुना बढ़ गया. इससे मिट्टी की उर्वरक शक्ति, भूमिगत जल भी प्रभावित होता है.

ग्लाइफोसेट में कैंसर कारक तत्व मौजूद: डब्ल्यूएचओ 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि ग्लाइसोफेट में कैंसरजन्य रसायन हैं. केरल,आंध्र प्रदेश,तेलंगाना,महाराष्ट्र और पंजाब में ग्लाइफोसेट पहले से ही प्रतिबंधित है.केंद्र सरकार के आदेश के बाद अब इसका प्रयोग सभी राज्यों में प्रतिबंधित हो जाएगा.गैजेट में सरकान ने लिखा है कि कंपनियों के इसके निर्माण या बिक्री के लिए प्राप्त होने वाले कैमिकल के पंजीकरण सहित सभी प्रमाण पत्र रजिस्ट्रेशन कमेटी को वापस करने होंगे.

कल ही विवादित जीएम सरसों की पर्यावरण रिलीज को मिली है मंजूरी 

पर्यावरण मंत्रालय की जेनेटिक इंजीनियरिंग मुल्यांकन समिति (जीईएसी) ने सरसों की संकर प्रजाति जीएम-डीएमएच-11 के औद्योगिक और कृषि उपयोग के लिए मंजूरी दे दी है. बता दें कि सरसों के जीएम संवर्द्धित बीज के व्यावसायिक प्रयोग को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है.न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जीएम फसलों की शुरूआत के बाद से रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग बढ़ा है. भारत में भी बीटी कपास की खेती शुरू होने के बाद कॉटन की फसल में कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ा है. संकर प्रजाति का अत्यधिक प्रयोग भुमिगत जल और पर्यावरण को दूषित कर सकता है. 

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फैसला किसानों के लिए हितकारी नहीं: एसीएफआई

एग्रो केमिकल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) के महानिदेशक कल्याण गोस्वामी ने सरकारी आदेश पर प्रतिक्रिया देत हुए कहा है कि देश में खासकर चाय उत्पादक राज्यों के पास कोई प्रभावी कीट नाशक या खरपतवार नाशक उपलब्ध नहीं है. केंद्र सरकार का यह आदेश किसानों में अराजकता पैदा करेगा,पीसीओ के प्रयोग से किसानों पर खेती-बाड़ी के लिए अधिक आर्थिक बोझ पड़ेगा. यह सरकारी फरमान बिल्कुल भी किसानों के लिए हितकारी नहीं है.

English Summary: Central Government banned the use of Glyphosate Herbicide on Crops ACFI Criticized the decision
Published on: 27 October 2022, 05:17 PM IST

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