गुटबंदी में शामिल और अवैध तरीके से बिज़नेस करने को लेकर देश की बड़ी टायर कंपनियों को बड़ा झटका लगा है. जी हाँ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट ने टायर कंपनियों द्वारा दायर की गयी याचिका को खारिज कर दिया है.
जिसमें उन्होंने गुटबंदी में शामिल होने के लिए उन पर कुल 1,788 करोड़ रुपए से अधिक का जुर्माना लगाने के नियामक के आदेश को चुनौती दी थी. सीसीआई ने तमाम बड़ी कंपनियां जैसे अपोलो टायर्स पर 425.53 करोड़ रुपए, एमआरएफ लिमिटेड पर 622.09 करोड़ रुपए, सीईएटी लिमिटेड पर 252.16 करोड़ रुपए, जेके टायर पर 309.95 करोड़ रुपए और बिड़ला टायर्स पर 178.33 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. आदेश में उन्हें अनुचित व्यापार प्रैक्टिस में शामिल होने और उसे बंद करने के लिए भी कहा गया है.
एटीएमए पर भी लागा जुर्माना (Penalty imposed on ATMA too)
आपको बता दें एटीएमए पर 8.4 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है, और इसे सदस्य टायर कंपनियों (Parent Company) के माध्यम से या अन्यथा थोक और खुदरा मूल्य एकत्र करने से खुद को अलग करने का निर्देश दिया गया है.
संवेदनशील डेटा का हुआ था आदान-प्रदान (Sensitive data was exchanged)
बयान में कहा गया है कि टायर निर्माताओं ने अपने एटीएमए प्लेटफॉर्म के माध्यम से मूल्य-संवेदनशील डेटा का आदान-प्रदान किया था और टायरों की कीमत पर सामूहिक निर्णय लिया गया था, उन्हें 2011-2012 के दौरान प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 3 का उल्लंघन करते पाया गया था.
यह सेक्शन प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौतों को प्रतिबंधित करता है. सीसीआई के आदेश के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय में एक अपील दायर की गई थी और इस साल 6 जनवरी को इसे खारिज कर दिया गया.
टायर कंपनियों पर लगाया गया आरोप (Allegations against tire companies)
नियामक ने बुधवार को एक विज्ञप्ति में कहा, "इसके बाद टायर कंपनियों ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) को प्राथमिकता दी, जिसे दिनांक 28.01.2022 को खारिज कर दिया गया।" सीसीआई ने कहा कि मामला कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से प्राप्त एक संदर्भ के आधार पर शुरू किया गया था और यह संदर्भ ऑल इंडिया टायर डीलर्स फेडरेशन (एआईटीडीएफ) द्वारा मंत्रालय को दिए गए एक प्रतिनिधित्व पर आधारित था.
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नियामक ने पाया था कि कंपनियों और एसोसिएशन ने प्रतिस्थापन बाजार में उनमें से प्रत्येक द्वारा बेचे जाने वाले क्रॉस प्लाई / पूर्वाग्रह टायर वेरिएंट की कीमतों में वृद्धि करने और बाजार में उत्पादन और आपूर्ति को सीमित करने और नियंत्रित करने के लिए मिलकर काम करके कार्टेलाइजेशन में लिप्त थे.
वॉचडॉग ने अपने आदेश का हवाला देते हुए विज्ञप्ति में कहा कि इस तरह की संवेदनशील जानकारी को साझा करने से टायर निर्माताओं के बीच समन्वय आसान हो गया.