बढ़ते हुए फैशन के साथ ही चमड़े से बनने वाले प्रोडक्ट्स की मांग में कई गुना वृद्धि हुई है. सजावट से लेकर रोजमर्रा के हर उत्पाद में चमड़ों का प्रयोग धड्ड्ले से हो रहा है. लेकिन बढ़ते हुए चमड़ों के प्रयोग का सबसे अधिक खामियाज़ा बेजुबान जानवरों को भुगतना पड़ता है. पेटा द्वारा लिए गए आंकड़ों से पता लगता है कि हर साल लेदर इंडस्ट्री चमड़ें की मांग को पूरा करने के लिए लाखों जानवरों का क़त्ल कर देती है. जिससे पर्यावरण में असंतुलन पैदा होता जा रहा है और जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है.
चमड़ा बनाने का मिला विकल्प
चमड़े के लिए जानवरों पर होने वाले यह जुल्म लेकिन अब बहुत जल्दी बंद हो सकता है. क्योंकि एड्रिअन लोपेज़ वेलरडे (Adrián López) और मारते काज़ारेज़ (Marte Cázarez) नाम के दो व्यापारियों ने लेदर बनाने का अनोखा तरीका खोज निकाला है. इन्होंने देस्सेर्टो (Desserto) नामक कैक्टस के पत्तों के उपयोग से फ़ैब्रिक बनाया है. यह अपने आप में चमड़ा बनाने की एक नई तकनीक है. बता दें कि कैक्टस के ये पौधें देखने में कंटीले और बीहड़ प्रकृति के नजर आते हैं.
चमड़ा उद्योग में आएगी क्रांति
इस खोज को चमड़ा उद्योग में नई क्रान्ति की तरह देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि इससे आने वाले समय में चमड़ा बनाना और अधिक आसान और सस्ता हो जाएगा. वहीं चमड़े के लिए जानवरों पर निर्भरता समाप्त होगी.
अभी क्या है चमड़े का विकल्प
हालांकि चमड़े के विकल्प के रूप में हमारे पास फ़ॉक्स लेदर का विकल्प मौजूद है. लेकिन फ़ॉक्स लेदर नकली लेदर होने के बावजदू भी पर्यावरण को नुकसान ही पहुंचाता है क्योंकि प्लास्टिक से बनाया जाता है. लेकिन कैक्टस से बनने वाले चमड़े को पूरी से इको-फ्रेंडली माना जा रहा है. इसको रंगने की प्रक्रिया भी नैचुरल ही है. इस बायोडिग्रेडेबल चमड़े को हर कोई उपयोग कर सकता है. फ़िलहाल इसे कैक्टस-लेदर का नाम दिया गया है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ इससे सीट्स, जूते कपड़े और अन्य तरह के उत्पाद बनाए जा सकते हैं.