नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद करेंगे कृषि जागरण के 'मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स' के दूसरे संस्करण की जूरी की अध्यक्षता Millets Varieties: बाजरे की इन टॉप 3 किस्मों से मिलती है अच्छी पैदावार, जानें नाम और अन्य विशेषताएं Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान! आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Organic Fertilizer: खुद से ही तैयार करें गोबर से बनी जैविक खाद, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन
Updated on: 30 January, 2020 4:06 PM IST

गिरते हुए जीडीपी ने सरकार के समक्ष कई प्रकार की चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. हालांकि आने वाले आम बजट से लोगों को कई तरह की उम्मीदें भी हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण से ग्रामीण भारत को क्या मिलेगा, ये एक बड़ा प्रश्न है. हालांकि कई विशेषज्ञों का मानना यही है कि आने वाले बजट से गांवों को विकास की नई संभावनाएं मिलेंगी. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बजट प्रक्रिया में नरेंद्र तनेजा प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.

ध्यान रहे कि तनेजा भाजपा के प्रवक्ता होने के साथ-साथ ब्रिक्स बिज़नेस काउंसिल के प्रमुख भी हैं. उनके मुताबिक शहरी विकास की कल्पना तब तक सार्थक नहीं हो सकती, जब तक कि ग्रामीण क्षेत्रों का विकास ना हो. नि:संदेह आने वाले दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों को देखते हुए बड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं लेकिन किसी भी निषकर्ष से पहले हमें मौजूदा हालातों पर गौर करना चाहिए.

किराना दुकानों पर पसरा सन्नाटा
नवंबर से ही किराना सामग्रियों की कीमतों में आग लगी हुई है. रिफाइंड तेल जहां 20 रुपये तक महंगा हो गया है, तो वहीं सरसों में 30 रुपये की वृद्धि देखी जा सकती है. दाल के साथ खुला आटा भी 30 से 40 रुपये तक महंगा हो गया है. कारोबारियों को भी आने वाले समय में किसी तरह की राहत की उम्मीद नज़र आती नहीं दिख रही है.

थाली से दूर हैं सब्ज़ियां
सब्ज़ियों को लेकर सरकार किस तरह विपक्ष के निशाने पर है, यह बात किसी से छुपी नहीं है. हालांकि बढ़ते हुए सब्ज़ियों के दामों से मुनाफ़ा जमाखोरों और बड़े व्यापारियों को ही हुआ है. किसानों के हाथ अभी भी खाली हैं. प्याज की बढ़ती कीमतों के साथ कई सब्ज़ियों ने भी कीमत के मामले में सेंचुरी लगा दी.

किसानों की शून्य आय
सरकार किसानों की आय डबल करने का ढोल पीट सकती है लेकिन कई रिपोर्ट्स और शोध यही बताते हैं कि कृषि क्षेत्र में सरकार की योजनाएं कुछ खास कारगर साबित नहीं हुई है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक नीति आयोग ने भी माना है कि पिछले सालों में (2017-2018) किसानों की आय में वास्तव में शून्य बढ़ोतरी ही हुई है.

धरातल से दूर सरकारी योजनाए
नि:संदेह मोदी सरकार कई तरह की योजनाएं गांवों के लिए चला रही है लेकिन यह भी सत्य है कि धरातल की सच्चाई कुछ और ही है. इन योजनाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा है. कई मामलों में पता लगा है कि योजनाओं को संचालित करने का तरीका ही योजनाओं को सफल बनाने में सबसे बड़ी बाधा है.

English Summary: Budget 2020 urual India challenges expectations and opportunities and Union Budget special
Published on: 30 January 2020, 04:14 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now