प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने हाल ही में अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश किया। इस अंतरिम बजट में केंद्र सरकार ने सभी वर्गों को सौगात देने की कोशिश की है। विशेष रूप से इस बजट में किसानों, मजदूरों के लिए कई बड़े ऐलान किए गए है। मोदी मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री भी इस बजट को लेकर ये दावा कर रहे है कि 'ये बजट आर्थिक सुरक्षा एवं किसानों की वास्तविक आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने में विशेष रूप से मददगार होगी।' गौरतलब है कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का बजटीय आवंटन वर्ष 2018-19 के 58,080 करोड़ रूपए से लगभग ढाई गुना की बढ़त के साथ 1,41,174.37 करोड़ रूपए हो गया है। जो कि यूपीए सरकार के 5 वर्षों (2009-14) के 1,21,082 करोड़ रूपए के बजटीय प्रावधान से भी 16.6% अधिक है। बजट 2019 में किसानों के लिए इनकम सपोर्ट के प्रावधान के साथ अन्य कई प्रावधान करते हुए ग्रामीण भारत पर सबसे ज्यादा फोकस किया है। ऐसे में आइये जानते है बजट- 2019 में किसानों को क्या-क्या मिला है-
'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि'
देश के छोटे और सीमांत किसानों को आय संबंधी सहायता देने के लिए केंद्र सरकार ने 75 हजार करोड़ रुपए के प्रस्तावित बजट से 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' (पीएम-किसान) नामक योजना आरंभ करने का निर्णय लिया है. ताकि छोटे और सीमांत किसान, जिनके पास राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों के भू-अभिलेखों में सम्मिलित रूप से 2 हेक्टेयर तक की कृषि योग्य भूमि का स्वामित्व है, उनके निवेश और अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए एक सुनिश्चित आय सहायता प्रदान की जा सके, जिससे वो अपनी समस्याओं को तथा विशेष रूप से फसल चक्र के पश्चात तथा संभावित आय प्राप्त होने से पहले की स्तिथि में होने वाले व्ययों को पूरा कर सके। इस योजना के अंतर्गत, लघु व सीमांत परिवारों को प्रति वर्ष 6000 रु. की सहायता सीधे चार-चार माह की तीन किश्तों में उपलब्ध कराई जाएगी.
'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' योजना का लाभ
इस योजना को 01.12.2018 से ही लागू करने का ऐलान किया गया है तथा पात्र किसान परिवारों को यह लाभ इसी प्रभाव से देय होगा। इसी लिए वर्ष 2018-19 के पूरक मांगो में 20 हजार करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया गया है। 01.12.2018 से 31.03.2019 की अवधि की प्रथम किश्त में पात्र परिवारों के चिन्हीकरण के तत्काल बाद इसी वित्तीय वर्ष में ही हस्तांतरित कर दी जाएगी। वर्ष 2019-20 से लाभ का हस्तांतरण आधार आधारित डेटाबेस के माध्यम से सीधे बैंक खातों में किया जाएगा।
'राष्ट्रीय गोकुल मिशन'
देशी गौपशु और भैंसपालन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2018-19 के बजट में 250 करोड़ से बढ़ाकर रु. 750 करोड़ कर दिया गया है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने अब “राष्ट्रीय कामधेनु आयोग” के निर्माण का फैसला लिया है जो गौ संसाधनों को बढ़ाने तथा दूध के उत्पा्दकता को बढ़ाने हेतु, नीतिगत ढ़ांचा एवं कार्यकारी वातावरण प्रदान करते हुए यह आयोग दिशानिर्देश जारी करेगा जिससे डेयरी फार्म वाले किसानों की गुणवत्ता पूर्ण जीवन और देशी गायों के उन्नत संरक्षण और प्रबंधन को बढ़ावा मिल सके।
मत्स्य पालन विभाग'
भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है जो कि विश्व उत्पादन का 6.3% मछली उत्पादन करता है। मछली पालन का जीडीपी में लगभग 1% का योगदान है तथा यह लगभग 1.5 करोड़ लोगों की आय का महत्वपूर्ण स्रोत है। मछली पालन क्षेत्र के व्यापक योगदान और विकास की संभावनाओं को देखते हुए मोदी सरकार ने वर्तमान में विद्यमान 'पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग' से स्वतंत्र ढांचे और स्टाफ के साथ एक नया एवं स्वतंत्र मत्स्य पालन विभाग बनाने का निर्णय लिया है।
'किसान क्रेडिट कार्ड'
किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भारत सरकार कृषि क्षेत्र से जुड़े किसानों को सस्ते दर पर संस्थागत ऋण उपलब्ध् कराती हैं। इससे न सिर्फ कृषि उत्पादों को बढ़ाने में मदद मिलती है वरन् कृषि उत्पादकता में भी वृद्धि होती है। अब पशुपालन एवं मत्स्य पालन से किसानों को जोड़ने के लिए वर्ष 2019 के बजट में पशुपालन तथा मत्स्य पालन करने वाले किसानों को भी 'किसान क्रेडिट कार्ड' सुविधा देने का निर्णय लिया गया है. और इसके अंतर्गत किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को 4% ब्याज की दर पर 3 लाख तक ऋण देने का प्रावधान किया गया है। जिन किसानों के पास खेती में उपयोगी संसाधनों के लिए क्रेडिट कार्ड नहीं है उनके लिए 2 लाख तक का नया किसान क्रेडिट कार्ड पशुपालन व मत्स्यपालन के लिए बनाने का प्रावधान किया गया है। यानि अब पशुपालकों तथा मछुआरों को भी 4% की रियायती ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध हो सकेगा।
ऋण छूट
वर्तमान में किसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होने की परिस्थिंति में किसानों को मात्र एक वर्ष की अवधि के लिए 2% ऋण छूट का लाभ मिलता है। प्राकृतिक आपदा में अधिकतम ऋण छूट लाभ देते हुए,किसान हित में मोदी सरकार द्वारा प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों के लिए अब कृषि ऋण को 3 से 5 वर्षों के लिए पुनर्गठन की अवधि के लिए न सिर्फ 2% ऋण छूट वरन् समय भुगतान (Timely Payment) करने पर 3% अतिरिक्त ऋण छूट का लाभ भी दिया जाएगा।
ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया
इस अभियान के अंतर्गत ऐसे सभी इच्छुक किसान जो कृषि साथ-साथ पशुपालन अथवा मत्स्यपालन के व्यवसाय से जुड़े हैं, एक प्रार्थना-पत्र भरकर किसान क्रेडिट कार्ड के लिए बैंकों को आवेदन दे सकते है। इसके लिए उन्हें प्रार्थना-पत्र के साथ फोटो के अतिरिक्त उन्हें तीन दस्तावेज- भौमिक अधिकारों संबंधित अभिलेख, पहचान-पत्र तथा निवास संबंधी प्रमाण पत्र देना होगा। गौरतलब है कि अभी तक किसानों को 'किसान क्रेडिट कार्ड' को बनवाने के लिए दस्तावेज, निरीक्षण तथा खाता-बही से संबंधित विभिन्न प्रकार के शुल्क देने पड़ते थे। इंडियन बैंकर्स एशोसिएसन द्वारा भी किसान हित में यह निर्णय लिया है कि तीन लाख तक के ऋण सीमा तक उपरोक्त शुल्क नहीं लिए जाएंगें।
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