सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 27 May, 2019 1:07 PM IST

हाल ही में मीडिया में यह खबर आई थी कि हरियाणा में किसान नियामक स्वीकृति के बिना बीटी बैंगन की खेती कर रहे हैं. यद्यपि इसके आनुवांशिक संशोधन का मूल स्रोत अभी भी स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन कुछ लोगों को यह पता है कि भारत का पड़ोसी बांग्लादेश बहुत पहले से ही बीटी बैंगन का उत्पादन बढ़ा रहा है. क्योंकि, वहां की सरकार ने अक्टूबर 2013 में इसकी खेती और उपयोग को मंजूरी दे दी थी. ऐसे में सभी तर्कों के साथ, यह समझना जरुरी है कि बीटी बैंगन के वजह से क्या प्रभाव पड़ सकता है. फार्मिंग फ्यूचर बांग्लादेश के निदेशक के अनुसार, मैं कई वर्षों से बांग्लादेश में बीटी बैंगन किसानों के साथ काम कर रहा हूं. मैंने देश भर के विभिन्न क्षेत्रों में कई बार क्षेत्र का दौरा किया है. बेशक उनकी विशिष्ट स्थितियों और प्रभावों में भिन्नता है, जिनमें कुछ स्पष्ट निष्कर्ष हैं जिन्हें खींचा जा सकता है -

2014 में जब पहली बार सीमित पैमाने पर आंकड़ा जारी किया गया था उसमें बढ़ रही बांग्लादेशी किसानों की संख्या में केवल 20 उछल दर्ज की गई, जब यह पहली बार सीमित पैमाने पर जारी किया गया था. तो वही साल 2017 में मोटे तौर पर 6,512 और साल 2018 में 27,012, देश में बैंगन उत्पादकों का का आंकड़ा था जो की कुल बैंगन किसानों का लगभग 17% था. पिछले पांच वर्षों में, लगभग सभी बांग्लादेशी बैंगन किसानों ने बीटी बैंगन उगाना शुरू कर दिया है, जिससे यह तेजी से अपनाई गई जीएम खाद्य फसल है. बांग्लादेश के सभी सब्जी उगाने वाले जिलों में किसान अब बीटी बैंगन का उपयोग करते हैं. कुल मिलाकर, बीटी बैंगन बांग्लादेशी किसानों में बहुत लोकप्रिय रहा है.

बीटी बैंगन क्यों हो रहा लोकप्रिय

इसके लोकप्रियता का कारण यह है कि बीटी बैंगन, बैंगन  में लगने वाले मुख्य कीट शूट बोरर के विनाशकारी प्रभाव का मुकाबला करने के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करता है. बीटी बैंगन का जीन एक प्रोटीन पैदा करता है जो बोरर कीट के लिए विषाक्त है लेकिन अन्य प्रकार के कीड़ों और मनुष्यों के लिए हानिकारक है. ऐसे में बीटी बैंगन फल में कम कीट क्षति और फल उत्पादकता अधिक है. गौरतलब है कि बीटी बैंगन को फल के खिलाफ छिड़काव और बोरर कीट को मारने की आवश्यकता नहीं है, जिसका अर्थ है कि किसान स्प्रे पर समय और धन की मात्रा को कम कर सकते हैं. बांग्लादेश के 35 जिलों में बढ़ रहे 850 किसानों के बांग्लादेश ऑन-फार्म रिसर्च डिवीजन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि उनकी कीटनाशक लागत 61% तक गिर गई.

भारत में बैन

बांग्लादेश का बीटी बैंगन भारत में जीएमओ विवाद में खींचा गया है. दरअसल UBINIG नामक एक संगठन, जो कि जैविक खेती को बढ़ावा देता है और आनुवंशिक इंजीनियरिंग का विरोध करता है, उसने इसी साल फरवरी में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि कुछ किसान खराब प्रदर्शन के कारण बीटी बैंगन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बंद कर रहे थे. इस बात की किसी भी तरह से पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन बांग्लादेशी किसानों के पास एक विकल्प है. वे या तो बीटी बैंगन उगा सकते हैं यदि वे चाहें या वे पारंपरिक किस्मों के साथ जारी रख सकते हैं. हालांकि 2010 में मनमोहन सरकार के द्वारा अनिश्चितकालीन स्थगन के बाद से भारतीय किसानों को इस स्वतंत्रता से वंचित रखा गया है.

English Summary: BT brinjal Bangladesh genetic modification organic farming GM mustard
Published on: 27 May 2019, 01:12 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now