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Updated on: 26 October, 2022 3:06 PM IST
जीएम सरसों का पेटेंट संयुक्त रूप से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दीपक पटेल के अधीन है. (प्रतीकात्मक फोटो-सोशल मीडिया)

अटल बिहारी वाजपेयी को देश में बीटी कपास की खेती की अनुमति देने का श्रेय दिया जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री के इस निर्णय ने देश को एक प्रमुख फाइबर निर्यातक के रूप में उभरने में मदद की. वहीं अब पीएम मोदी के पर्यावरण मंत्रालय ने आनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) सरसों सहित तिलहनी फसलों के औद्योगिक उत्पादन के लिए मार्ग प्रशस्त कर मंजूरी दे दी है. माना जा रहा है जीएम संकर के बीजों के प्रयोग से देश खाद्य तेलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकेगा. भारतीय बीज उद्योग संघ (एफएसआईआई) ने पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी की गई इस अधिसूचना का स्वागत किया है. हालांकि इस रबी सीजन में किसान इस संकर का प्रयोग करेंगे या नहीं, इस पर आखिरी निर्णय सरकार लेगी.

पर्यावरण मंत्रालय की जेनेटिक इंजीनियरिंग मुल्यांकन समिति (जीईएसी) की वेबसाइट पर कहा गया है कि भविष्य में सरसों सहित मधुमक्खियों और अन्य परागणकों पर आनुवांशिकी इंजीनियरिंग और अध्ययन किया जाएगा. हाइब्रिड बीजों का विकास और इनकी रिलीज के बाद की निगरानी वरिष्ठ विशेषज्ञों द्वारा की जाएगी. आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) दो साल के दौरान इस अध्ययन के लिए आवेदन लेगा. और इसकी रिपोर्ट जीईएसी को प्रस्तुत करेगा. जीएम- धारा मस्टर्ड हाइब्रिड 11 (डीएमएच-11) का पेटेंट संयुक्त रूप से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दीपक पटेल के अधीन हैं.

जीईसी ने सरसों की जिस डीएमएच-11 हाइब्रिड किस्म के पर्यावरण रिलीज की सिफारिश की है उसे दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स (सीजीएमसीपी) ने विकसित किया है. ट्रांसजेनिक सरसों संकर डीएमएच-11 में पैरेंटल लाइन बीएन3.6 और एमओबीए 2.99 बानरेस, बारस्टार और बार जीन का उपयोग किया गया है. जीईएसी ने कहा है कि डीएमएच-11 संकर का व्यावसायिक उपयोग सीड एक्ट (1966) और संबंधित नियमों और विनियमों, कानून के संशोधन और समय-समय पर लागू होने वाली राजपत्र अधिसूचनाओं के अधीन होगा.

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न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जीएम फसलों की शुरूआत के बाद से रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग बढ़ा है. भारत में भी बीटी कपास की खेती शुरू होने के बाद कॉटन की फसल में कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ा है. संकर प्रजाति का अत्यधिक प्रयोग भुमिगत जल और पर्यावरण को दूषित कर सकता है. राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लगभग 70-80 लाख किसान सरसों की खेती करते हैं. देश में सरसों की खेती का रकबा लगभग 80 लाख हेक्टेयर है. हालांकि राज्य सरकारों के पास सरसों के संकर की इस प्रजाति के औद्योगिक उत्पादन से इनकार करने की शक्ति है.

English Summary: Breakthrough- GEAC approved Paving hybrid of mustard seed DMH11 after a long conflict
Published on: 26 October 2022, 03:17 PM IST

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