Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 10 December, 2021 4:34 PM IST
Cotton Crops

किसानों के लिए आफत की घड़ी कब शुरू हो जाये इसका कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकता और कुछ ऐसी ही आफत की ख़बर महाराष्ट (Maharashtra) से भी आ रही है. जी हां, इन दिनों महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश और बदलते मौसम के कारण फसलों पर कीटों और बीमारियों का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हो रहा है.

कपास की फसल को करना पड़ रहा है नष्ट (Cotton crop has to be destroyed)

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के किसानों ने अपनी खेत में कपास की खेती (Cotton Farming) की थी और इससे उन्हें काफी उम्मीदें भी थीं. लेकिन, कपास की पूरी फसल पर पिंक बॉन्ड वर्म (GulabiSundi) का प्रकोप बढ़ने लगा. जिसके बाद किसानों को निराशा झेलनी पर रही है,और अपने कपास के खेतों में ट्रैक्टर चलाकर फसल को नष्ट करने की नौबत आ गयी है.

कपास के अलावा भी अन्य फसलों पर कीटों का प्रकोप (Insect pests on crops other than cotton)

आफत सिर्फ कपास तक ही नहीं उससे कही ज्यादा है.बता दें कि महाराष्ट्र में सिर्फ कपास ही नहीं बल्कि अरहर (Toor Dal) और अंगूर (Grapes) समेत कई अन्य फसलें भी कीटों का प्रकोप झेलना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि दवा के छिड़काव के बाद भी फसल बर्बाद हो रही है.

कभी तेज धूप तो कभी बेमौसम बारिश से इन कीटों का प्रकोप बढ़ गया है. कीड़ों के लिए मौसम अनुकूल है. राज्य के सबसे बड़े कपास उत्पादक क्षेत्र खानदेश में कपास पर गुलाबी सूंडी (Pink Bollworm) का प्रकोप बड़े पैमाने पर देखा जा रहा है.

किसानों की आपबीती (Farmers' plight)

चंद्रपुर जिले के किसानों ने इस साल बड़ी उम्मीद से कपास की खेती की थी. लेकिन इस साल प्रकृति के कहर ने सब बर्बाद कर दिया. सबसे पहले भारी बारिश के कारण, फिर रबी सीजन (Rabi Season) में बेमौसम बारिश के कारण किसानों की फसल खराब हो रही है. इससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है.

यह भी पढ़ें: मिर्च की फसल को मिलीबग और लट या इल्ली से कैसे बचाएं

दवाई डालने के बाद भी कोई असर नहीं (No effect even after administering the medicine)

कपास मुख्य रूप से महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में उगाया जाता है. इसका एक कारण यह भी है कि कपास और सोयाबीन को नकदी फसल के रूप में लिया जाता है. इसलिए जिले के किसान कपास की अधिक खेती करते हैं. किसानों का कहना है कि कभी बारिश, कभी सूखा तो कभी कीटों की वजह से खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है.

किसानों ने कहा कि फसल को बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव किया गया लेकिन कोई असर नहीं हुआ. जिसके बाद मायूसी में पूरी फसल को बर्बाद करना पड़ रहा है.

अन्य क्षेत्रों को भी है खतरा (Other areas are also at risk)

महाराष्ट्र के जलगांव में भी रुक-रुक कर हो रही बारिश से किसान परेशान हैं. बदलते मौसम के कारण कपास की फसलों पर पिंक बॉन्ड लार्वा का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. कृषि विभाग ने रिपोर्ट सौंपी है कि जिले में 5 लाख 39 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की फसल पिंक बॉन्ड लार्वा से घिरी हुई है.

English Summary: Bond Worm stuns farmers, destroying crops fast
Published on: 10 December 2021, 04:39 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now