कोरोना महामारी के कारण चल रहे लॉकडाउन में अफीम किसानों पर संकट मंडराने लगा है. हर साल अप्रैल माह में नारकोटिक्स विभाग में जमा हो जाने वाली काला सोना, जिसे अफीम भी कहते हैं उसकी फसल अब तक किसानों के घरों में ही रखी है. मंदसौर जिले के 18 हजार किसानों सहित संसदीय क्षेत्र के करीब 37 हजार किसान अफीम जमा कराने के लिए सरकार के आदेश की बाट ढूंढ रहे है. घरों में रखी अफीम अब सूखने लगी है. जिससे उसका वजन भी कम होता जा रहा है. अफीम का वजन कम होने की चिंता अब किसानों को सताने लगी है. वही घरों में रखी अफीम की रखवाली के लिए किसान रात में जाग रहे है. जल्द से जल्द अफीम तोल कराने के लिए किसान ग्वालियर अधिकारी और नीमच डीएनसी में आवेदन भी कर चुके है. लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अब तक अफीम किसानों की सुध नही ली गई है.
अफीम सूखने से लेकर रखवाली करने की दोतरफा परेशानी
मंदसौर नीमच क्षेत्र अफीम की अच्छी पैदावार के लिए मशहूर है. अफीम किसानों द्वारा पैदा की गई अफीम को एक माह बीत जाने के बाद भी नार्कोटिक्स विभाग द्वारा नही खरीदे जाने के कारण दो तरफा परेशानियों का सामना किसानों को करना पड़ रहा है. जिसका मुख्य कारण कोरोना वायरस का संक्रमण है. हर साल 20 अप्रैल तक तोल हो जाता है. लेकिन इस महामारी के कारण अब तक अफीम तोल नही हुआ. आपदा की इस स्थिति में किसानों ने चिंता जाहिर की है. अफीम तोल में देरी होने के कारण एक तरफ अफीम सुख रही है. वहीं दूसरी और अफीम की रखवाली के लिए सुरक्षा के हिसाब से घर के एक सदस्य को रात में जागकर अफीम की रखवाली करना पड़ रही है. किसानों का कहना है कि केन्द्र सरकार जल्द ही तोल करने का आदेश जारी करे या इससे संबंधित कोई गाइडलाइन जारी करे.
औसत कम हो या खराब होने पर जिम्मेदार कौन
किसानों ने बताया कि लॉकडाउन के चलते डीएनसी द्वारा अफीम नही खरीदे जाने से अफीम की प्रगाढ़ता खत्म होती जा रही है. और अफीम में जल्दी सूखने की प्राकृतिक खूबी भी होती है. जिसके चलते अफीम का वजन भी कम होता जा रहा है. ऐसे में अफीम की वजन कम होने और अफीम खराब होने पर उसका जिम्मेदार कौन होगा. किसानो का कहना हैं, “अफ़ीम घरों ने पड़ी सूख रही है. अफ़ीम में गाढ़ापन आने लगा है. जिससे वज़न कम हो रहा है. साथ ही किसानों को डर है कहीं उनका अफ़ीम का लाइसेंस (पट्टा) निरस्त न हो जाए.
सूखने से मार्फिन की मात्रा कम हो रही
अफीम तोल नहीं होने के कारण किसान काफ़ी चिंतित ओर परेशान हैं. हर साल अफीम तोल का 20 अप्रैल तक पूर्ण हो जाता था. लेकिन अभी तक तोल नहीं हुआ हैं. कोरोना वायरस के चलते अफ़ीम तोल का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है. भारत सरकार ने अभी तक अफीम ख़रीदने की कोई नीति नहीं बनाई हैं. जिससे किसान परेशान हैं. किसानों को ये डर हैं की उनके अफ़ीम का लाइसेंस निरस्त ना हो जाये इस मामले अफ़ीम अधिकारी ग्वालियर और नीमच डीएनसी को सूचना की हैं ओर आवेदन भी दे चुके हैं. अफ़ीम का कार्य एक माह से पूर्ण हो चुका हैं. अफ़ीम घरों मे पड़ी पड़ी सूख रही है. जिससे अफ़ीम की मार्फ़िन की मात्रा कम हो रहीं हैं. वजन कम होने से अफ़ीम लाइसेंस(पट्टा कट ) निरस्त हो जायेगा.
-अमृतराम पाटीदार, किसान नेता और अफीम काश्तकार मंदसौर
7 खण्डों में बांटा तोल कार्य
अफ़ीम वित्तमंत्रालय के अधीन रहता हैं. वो समय समय पर अपने निर्देश जारी करता हैं. लेकिन कोरोना के चलते वित्तमंत्रालय, गृह मंत्रालय अधीन हो गया हैं. मैं लगातार सम्पर्क मे हूं. 6 मई से तोल शुरू होने की पूरी संभावना है. 7 खंडों में तोल कार्य बांटा गया है. जिसमें 3 केंद्र मंदसौर जिला, 3 केंद्र नीमच जिला और एक केंद्र जावरा में रहेगा.
-सुधीर गुप्ता, सांसद भाजपा
-किसानों की हमेशा से माँग रही है की उन्हें अफ़ीम की उचित मूल्य मिले.
-मालवा क्षेत्र में अफ़ीम काश्तकारी के आंकड़े
- नीमच जिले में 14 हजार 618 किसानों ने की खेती
- मंदसौर जिले में 18 हजार 929 किसानों ने की खेती
- रतलाम जिले के जावरा में 3 हजार 777 किसानों की खेती.
- मप्र ओर राजस्थान को मिलाकर क़रीब 80 हज़ार अफ़ीम के लाइसेंस हैं
2018-19 की तुलना में 2798 किसान बढ़े
अफीम नीति 2018-19 में मप्र में करीब 34 हजार किसानों को अफीम की खेती का अधिकार मिला था. लाइसेंस (पट्टे)जारी हुए थे. अफीम नीति 2019-20 में प्रदेश में पट्टेदार किसानों की संख्या करीब 37 हजार हो गई है. इस तरह पूर्व की तुलना में प्रदेश में 2 हजार 798 पट्टेदार किसान बढ़ गए हैं.