Success Story: चायवाला से उद्यमी बने अजय स्वामी, मासिक आमदनी 1.5 लाख रुपये तक, पढ़ें सफलता की कहानी ट्रैक्टर खरीदने से पहले किसान इन बातों का रखें ध्यान, नहीं उठाना पड़ेगा नुकसान! ICAR ने विकसित की पूसा गोल्डन चेरी टमाटर-2 की किस्म, 100 क्विंटल तक मिलेगी पैदावार IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 9 April, 2019 5:48 PM IST

दिल्ली के प्रेस क्ल्ब ऑफ इंडिया में राष्ट्रीय किसान महासंघ द्वारा " नरेन्द्र मोदी किसान विरोधी" पुस्तिका का विमोचन किया गया. विमोचन के वक्त मध्यप्रदेश से शिवकुमार कक्काजी, पंजाब से जगजीत सिंह डल्लेवाल, उत्तर प्रदेश से हरपाल चौधरी, कर्नाटक से बसवराज पाटिल, आंध्र प्रदेश से जव्रे गौड़ा, हरियाणा से अभिमन्यु कोहाड़ मौजूद थे. पुस्तिका में वर्तमान बीजेपी सरकार द्वारा पिछले पांच सालों में लिए गए किसान विरोधी फैसलों को प्रमाण के साथ प्रस्तुत किया गया है.

सरकार पर आरोप लगाते हुए शिवकुमार कक्काजी ने कहा कि वर्तमान सरकार ने पिछले 5 सालों में अनेक किसान-विरोधी फैसले लिए जिससे किसान हितों को गंभीर नुकसान हुआ. 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया स्वामीनाथन आयोग के अनुसार फसलों का लाभकारी मूल्य(C2+50%) देने का वादा 5 साल में पूरा नहीं किया गया, फसल बीमा योजना से किसानों को लूटा गया व भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के जरिये किसानों की जमीन लूटने की कोशिश कि गई. जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सरकार की इ-नेम, सॉयल हेल्थ कार्ड, भावान्तर, पीएम आशा, पीएम कृषि सिंचाई जैसी योजनाएं पूर्ण तौर पर विफल साबित हुई. किसानों की आत्महत्या के आंकड़े बढ़ गए हैं, 2016 के बाद से सरकार ने किसानों की आत्महत्या के आंकड़े प्रकाशित करना बंद कर दिए हैं. दालों, चीनी का उत्पादन देश की वार्षिक जरूरतों से ज्यादा होने के बावजूद विदेशों से आयात किया जा रहा है जिससे किसानों को नुक्सान उठाना पड़ रहा है.

हरपाल चौधरी ने कहा कि गन्ना किसानों का 22,000 करोड़ से ज्यादा शुगर मिलोंपर बकाया है. गेहूं से आयात शुल्क खत्म कर विदेशों से गेहूं का आयात किया जा रहा है, जिस्से किसानों को अपनी फसलों के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं. बसवराज पाटिल ने कहा कि कैग, सीबीआई, कोर्ट जैसे विश्र्वनीय संस्थानों की स्वायत्ता पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. लोकतंत्र का चौथ स्तंभ कहे जाने वाला मिडीया अपनी भूमिका का निर्वाह सही से नहीं कर रहा है, सरकार कि गलत नीतियों पर सवाल उठाने वाले पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि RCEP जैसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स विषयों पर सरकार द्वारा किसानों से सलाह नहीं ली जा रही है, यह गंभीर चिंता का विषय है. जव्रे गौड़ा ने कहा कि हमारा आंदोलन किसी पार्टी के खिलाफ नहीं बल्कि पार्टीयों की गलत नीतियों के खिलाफ है. हमारा मकसद देश के किसानों को इकट्ठा कर एक मंच पर लाकर उनके हकों की लड़ाई लड़ना है.

अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि सरकार द्वारा पूंजीपतियों का 2,72,000 करोड़ का कर्ज माफ दिया गया लेकिन किसानों का कर्ज़मुक्त नहीं किया गया. इंटरनेशनल बाजार में कच्चे तेल का दाम कम होने के बावजूद देश में डीजल के दाम बढ़ाये गए जिससे फसलों की लागत मूल्य में बढ़ोतरी हुई. 2014 में सरकार बनते ही फसलों पर मिलने वाले बोनस बंद कर दिए गये. युवाओं को 10 करोड़ नए रोजगार देने का वादा मोदी जी ने 2014 के चुनावों से पहले किया था लेकिन नये रोज़गार देने की बात तो दूर, आज के दिन बेरोजगारी दर ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गई है. किसानों-युवाओं को जागृत करने व गैर-राजनीतिक रूप से संगठित करने, जनहित के मुद्दों को चर्चा में लाने और वर्तमान सरकार की गलत नीतियों से जनता को अवगत कराने के लिए यह पुस्तिका राष्ट्रीय किसान महासंघ द्वारा प्रकाशित कि जा रही है और देश के करोड़ों किसानों को जागृत करने के लिए 6 भाषाओं में यह पुस्तक प्रकाशित की जा रही है. अन्य भाषाओं में पुस्तिका का विमोचन अन्य राज्यों में किया जाएगा.

English Summary: BJP has taken several anti-farmer decisions for five years: National Kisan Mahasangha
Published on: 09 April 2019, 05:51 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now