Papaya Farming: पपीते की खेती से होगी प्रति एकड़ 12 लाख रुपये तक कमाई! जानिए पूरी विधि सोलर पंप संयंत्र पर राज्य सरकार दे रही 60% अनुदान, जानिए योजना के लाभ और आवेदन प्रक्रिया केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 22 June, 2020 2:53 PM IST

उत्तर प्रदेश स्थित मुरादाबाद शहर के कृषि लैब में इन दिनों किसानों की मदद के लिए विशेषज्ञ बायोपेस्टीसाइड (pest control management) तैयार कर रहे हैं. खास बात यह है कि यह बायोपेस्टीसाइड बाजरा से तैयार किया जा रहा है. न केवल मुरादाबाद मंडल, बल्कि हापुड़ और बुलंदशहर में भी किसानों की तरफ से बायोपेस्टीसाइड की मांग बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि बायोपेस्टीसाइड बनाने का काम जोर-शोर से चल रहा है. इससे किसानों और बागवानों को काफी मदद मिलेगी. आपको बता दें कि किसानों की फसलों में लगने वाले रोग, कीट और खरपतवार के नियंत्रण के लिए रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है. इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर भी असर पड़ता है. ऐसे में रासायनिक कीटनाशकों की जगह जैव कीटनाशक का इस्तेमाल कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

बाजरा से बायोपेस्टीसाइड तैयार करने की विधि

आपको बता दें कि ट्राइकोडर्मा और बाजरा पाउडर से बायोपेस्टीसाइड तैयार किया जाता है. कृषि लैब में इस ख़ास बाजरा बायोपेस्टीसाइड को एक खास विधि से तैयार किया जाता है. इसे तैयार करने के लिए सबसे पहले बाजरे को पानी में 24 घंटे के लिए भिगोकर रखा जाता है. पूरा एक दिन भिगोने के बाद बाजरा को निकालकर उसका पूरा पानी छानकर निचोड़ दिया जाता है यानी बाजरे से पानी को पूरी तरह हटा दिया जाता है. इसके बाद विशेषज्ञ पॉली प्रोपाइलिन बैग में बाजरे को रख देते हैं. इस प्रक्रिया के बाद उसे आटोक्लेव मशीन में रखा जाता है जहां मशीन स्टार्ट की जाती है और उसे पहले 121 डिग्री तापमान पर गर्म किया जाता है. इसके लगभग एक घंटे बाद मशीन को बंद कर बैग को स्टेरलाइज़ किया जाता है. इसके बाद लैब में तैयार ट्राइकोडर्मा कल्चर को विशेषज्ञों द्वारा सिरिंज के माध्यम से बैग में डाला जाता है. इसे लगभग एक हफ्ते के लिए ऐसे ही छोड़ दिया जाता है. एक हफ्ते बाद ट्राइकोडर्मा का विकास होता है. इस दौरान उसमें हरा रंग दिखने लगता है और इसके पूरी तरह से सूखने के बाद इसमें बाजरे को मिलाया जाता है. इसमें बाजरा के छोटे टुकड़े करने के बाद उसे पीसकर पाउडर बनाया जाता है और उसके बाद ही ट्राइकोडर्मा में मिलाया जाता है. इस तरह बायोपेस्टीसाइड तैयार किया जाता है.

इस तरह मददगार है यह बायोपेस्टीसाइड

बायोपेस्टीसाइड फसलों में लगने वाले रोग या कीट को नियंत्रित करता है. इसके साथ ही यह किसानों के खेतों की  उर्वरा शक्ति  को भी बढ़ाता है. ट्राइकोडर्मा हरजेनियम (फंगस) के साथ पाउडर या ब्यूबेरिया बेसियाना और पाउडर को मिलाकर दो तरीके से जानकारों द्वारा बायोपेस्टीसाइड को तैयार किया जाता है.

English Summary: Biopesticide being prepared from millet in Moradabad krishi lab of Uttar pradesh for farmers
Published on: 22 June 2020, 02:57 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now