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Updated on: 8 September, 2025 6:40 PM IST
Bihar papaya cultivation scheme

बिहार सरकार राज्य के किसानों की आय दोगुनी करने और उन्हें अधिक लाभकारी खेती की ओर प्रोत्साहित करने के लिए लगातार नई योजनाएं लागू कर रही है. इन्हीं प्रयासों की कड़ी में अब बागवानी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए पपीता विकास योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना को एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एम॰आई॰डी॰एच॰) के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2026-27 तक लागू किया जाएगा. कुल दो वर्षों की अवधि के लिए स्वीकृत इस योजना पर लगभग 01 करोड़ 50 लाख 75 हजार रुपये खर्च किए जाएंगे.

योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में पपीते की खेती का क्षेत्रफल बढ़ाना, उत्पादन एवं उत्पादकता को उन्नत करना और किसानों की आमदनी में स्थायी सुधार लाना है. इसके साथ ही, यह योजना किसानों को आधुनिक कृषि पद्धतियों और वैज्ञानिक खेती अपनाने के लिए भी प्रेरित करेगी.

योजना की स्वीकृति और लागत

उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने आज जानकारी दी कि पपीता विकास योजना पर दो वर्षों में कुल 01 करोड़ 50 लाख 75 हजार रुपये खर्च किए जाएंगे. वित्तीय वर्ष 2025-26 में 90 लाख 45 हजार रुपये की निकासी एवं व्यय की स्वीकृति दी गई है. यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार का अंशदान 40-40 प्रतिशत रहेगा. साथ ही राज्य सरकार ने अतिरिक्त 20 प्रतिशत टॉप-अप की व्यवस्था भी की है, जिससे किसानों को और अधिक लाभ मिलेगा.

योजना का उद्देश्य

पपीता विकास योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में पपीते की खेती का क्षेत्रफल बढ़ाना, उत्पादन और उत्पादकता में सुधार करना तथा किसानों की आमदनी बढ़ाना है. वर्तमान समय में बागवानी फसलों की ओर किसानों का झुकाव तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि इनसे अल्प अवधि में अधिक मुनाफा मिलता है. पपीता ऐसी ही एक नकदी फसल है, जिसकी बाजार में सालभर अच्छी मांग रहती है. इस योजना के जरिए किसान बेहतर आय अर्जित कर सकेंगे और राज्य के बागवानी क्षेत्र को नई पहचान मिलेगी.

अनुदान का प्रावधान

योजना के तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर 75 हजार रुपये की इकाई लागत प्रस्तावित है. इसमें केंद्र सरकार की ओर से 40 प्रतिशत अनुदान और राज्य योजना से अतिरिक्त 20 प्रतिशत टॉप-अप जोड़कर कुल 60 प्रतिशत यानी 45 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाएगा. यह राशि किसानों को दो किस्तों में मिलेगी. पहली किस्त के रूप में 27 हजार रुपये और दूसरी किस्त के रूप में 18 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर किसानों को प्रदान किए जाएंगे. इस अनुदान का लाभ लेने के लिए किसानों को न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) और अधिकतम 5 एकड़ (2 हेक्टेयर) तक की खेती करनी होगी.

पौधारोपण और तकनीकी पहलू

पपीते की खेती के लिए 2.2 मीटर की दूरी पर पौधे लगाने की व्यवस्था की गई है. इस हिसाब से प्रति हेक्टेयर लगभग 2500 पौधों की आवश्यकता होगी. वैज्ञानिक तरीके से पौधारोपण और बेहतर देखभाल से किसान अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे. पपीता एक ऐसी फसल है जो जल्दी फल देती है और पौधे लगाने के एक वर्ष के भीतर किसानों को अच्छी आमदनी मिलने लगती है. इसके अलावा, पपीते का उपयोग फल के साथ-साथ दवा और औद्योगिक क्षेत्र में भी होता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर मिलते हैं.

जिलों में कार्यान्वयन

यह योजना राज्य के 22 जिलों में लागू की जाएगी, जिनमें भोजपुर, बक्सर, गोपालगंज, जहानाबाद, लखीसराय, मधेपुरा, बेगूसराय, भागलपुर, दरभंगा, गया, कटिहार, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पश्चिम चंपारण, पटना, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, सहरसा, समस्तीपुर, मधुबनी और वैशाली शामिल हैं. इन जिलों का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि यहाँ की जलवायु और मिट्टी पपीते की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है.

किसानों के लिए लाभ

इस योजना से किसानों को अनेक लाभ मिलेंगे.

  • सबसे पहले, उन्हें प्रति हेक्टेयर 45 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा, जिससे खेती की लागत घटेगी.

  • पपीता एक नकदी फसल है, जो किसानों को सालभर आय देती है.

  • योजना के अंतर्गत वैज्ञानिक पद्धति से पौधारोपण और प्रबंधन की जानकारी दी जाएगी, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार होगा.

  • इससे राज्य में पपीते की आपूर्ति बढ़ेगी और किसानों को बेहतर बाजार मूल्य मिलेगा.

English Summary: Bihar papaya cultivation scheme farmers to get 45000 per hectare subsidy benefits and eligibility
Published on: 08 September 2025, 06:43 PM IST

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