बिहार सरकार मशरुम की खेती को बढ़ावा दें रही है और अभी हाल ही में मशरुम किसानों को राहत की खबर दी है. राज्य सरकार ने मशरुम उत्पादन को अब औपचारिक रुप से खेती की श्रेणी में शामिल करने का फैसला किया है. इसके साथ अब मशरुम किसानों को बिजली अब व्यावसायिक दरों पर नहीं, बल्कि सामान्य किसानों की तरह बेहद कम रियायती दरों पर मिलेगी जिससे किसानों की लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा.
अब तक क्यों थी परेशानी?
अब तक बिहार में मशरुम की खेती करने वाले किसानों को गैर-घरेलू यानि व्यावसायिक उपभोक्ता माना जाता था. इसी कारण मशरुम की खेती कर रहें किसानों को बिजली का अधिक भुगतान करना पड़ता था, लेकिन सरकार के इस निर्णय ने राज्य के किसान भाइयों को राहत की खबर दी है, जिससे वह कम लागत में मशरुम की खेती में अच्छी आमदनी अर्जित कर पाएंगे.
वहीं, अगर बिजली यूनिट खपत की बात करें तो इस प्रकार है-
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ग्रामीण क्षेत्रों में 100 यूनिट तक की खपत पर 3.35 रुपये प्रति यूनिट दिया जाता है.
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वहीं, अगर 100 यूनिट से ज्यादा खपत पर 21 रुपये प्रति यूनिट.
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शहरी इलाकों में 5 किलोवाट तक कनेक्शन पर 67 रुपये प्रति यूनिट दिया जाता है.
पहले कितनी सब्सिडी मिल रही थी?
बिजली की सस्ती दर के अलावा बिहार सरकार पहले से ही मशरुम किसानों को 90% तक सब्सिडी मुहैया करवा रही थी, जिसमें शेड निर्माण, उपकरण, स्पॉन और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं शामिल हैं. वहीं, दूसरी ओर कृषि मंत्री के अनुसार यह कदम मशरुम किसानों की आय में बढ़ोतरी करेगा.
अब कितने रुपये यूनिट बिजली मिलेगी?
राज्य के कृषि मंत्री रामकृपाल यादव ने घोषणा करते हुए यह कहा है कि मशरुम उत्पादन को अब व्यावसायिक गतिविधि नहीं, बल्कि खेती माना जाएगा. साथ ही सरकार ने यह निर्णय लिया है कि बिहार मशरुम उत्पादन को खेती की श्रेणी में रखा जाएगा और इससे मशरुम किसानों को सामान्य किसानों की तरह मात्र 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली मुहैया करवाई जाएगी.
बिहार बना मशरूम उत्पादन में अग्रणी राज्य
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बिहार आज देश के प्रमुख मशरूम उत्पादक राज्यों में शामिल हो चुका है. आंकड़ों के अनुसार-
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बिहार देश के कुल मशरुम उत्पादन में करीब 11 फीसदी का योगदान देता है.
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बिहार ने मशरुम उत्पादन के मामले में उड़ीसा को भी पीछे छोड़ दिया है.
वहीं, गया, भोजपुर, नालंदा और आसपास के जिले मशरूम उत्पादन के बड़े केंद्र बनकर उभरे हैं. यहां बड़ी संख्या में महिलाएं और युवा इस खेती से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं.