केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के तहत पूर्वी चंपारण के पीपराकोठी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों से संवाद किया. इस दौरान उन्होंने लीची उत्पादक किसानों से खेती, लागत, उत्पादन और भंडारण से जुड़ी समस्याओं की जानकारी ली. केन्द्रीय कृषि मंत्री से बातचीत के दौरान किसान कृष्ण कुमार ने बताया कि वे 2002 से लीची की खेती कर रहे हैं. उनके पास 250 पेड़ हैं और एक पेड़ लगभग 150 साल तक फल दे सकता है. एक एकड़ में दो से साढ़े चार टन तक लीची का उत्पादन होता है, जिससे उन्हें औसतन दो से ढाई लाख रुपये की आमदनी होती है, जबकि खर्च महज दस हजार रुपये आता है.
किसान ने बताया कि लीची की सबसे बड़ी समस्या उसकी बहुत ही कम शेल्फ लाइफ है. उन्होंने कहा कि "लीची 24 से 48 घंटे में खराब हो जाती है, जिससे किसान को बाजार तक माल पहुंचाने में कठिनाई होती है. हम चाहते हैं कि इसे कम से कम 15 दिन तक स्टोर किया जा सके."
ICAR ने लीची को ऐसा रखा सुरक्षित
केंद्रीय कृषि मंत्री ने वैज्ञानिकों को निर्देशित किया कि वे लीची की ऐसी वैरायटी विकसित करें, जिसकी शेल्फ लाइफ कम से कम एक सप्ताह तक बनी रहे. इसके लिए स्टोरेज और रिसर्च दोनों स्तरों पर काम किया जाएगा. वहीं, ICAR के वैज्ञानिक ने बताया कि उन्होंने प्रयोग के तौर पर लीची को ग्लूकोज और कॉटन की मदद से सुरक्षित रखा और स्पेशल पॉलिथीन में पैक करके 5 दिन तक खराब नहीं होने दिया. इस उपाय को मंत्री ने सराहा और वैज्ञानिकों से इस पर भी शोध करने को कहा और साथ ही किसानों तक इसे पहुंचाने को भी कहा.
सरकार रिसर्च और स्टोरेज की करेगी व्यवस्था
बिहार की लीची को दुनिया की सबसे रसदार और स्वादिष्ट लीची माना जाता है. इसका स्वाद और खुशबू लोगों को बहुत पसंद आता है, लेकिन इसकी एक बड़ी समस्या है – इसकी शेल्फ लाइफ यानी ताजगी केवल दो दिन तक ही बनी रहती है. इस कारण किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि वे लीची को दूर तक भेज नहीं पाते और जल्दी बेचने की मजबूरी होती है.
सरकार ने अब इस दिशा में पहल करने का फैसला किया है. किसानों के लिए रिसर्च और स्टोरेज से जुड़ी बेहतर व्यवस्था की जाएगी, जिससे लीची को 7 से 15 दिन तक सुरक्षित रखा जा सके. इसके अलावा, किसान अपने स्तर पर जो देसी उपाय अपनाते हैं लीची को ताजा रखने के लिए, उन तरीकों को भी अब वैज्ञानिक तरीके से जांचा जाएगा, ताकि अगर वे कारगर हों तो उन्हें बड़े पैमाने पर अपनाया जा सके. इससे किसानों को लाभ मिलेगा और बिहार की लीची देश-विदेश तक और आसानी से पहुंच सकेगी.
इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि सरकार लीची की गुणवत्ता, भंडारण और बाजार व्यवस्था को मजबूत करने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी.