कोरोना के कहर ने वैसे तो आम तौर पर सभी किसानों को नुकसान पहुंचाया है, लेकिन सबसे अधिक हालत लीची व्यापारियों एवं किसानों की खराब है. मुजफ्फरपुर की शाही लीची केकिसानों को तो मानो इस संकट की घड़ी में कुछ सुझ ही नहीं रहा है. पिछली बार चमकी बुखार ने इस व्यापार की कमर तोड़ दी थी और इस बार की रही-सही कसर कोरोना ने पूरा कर दिया. हालांकि किसानों की समस्याओं को समझते हुए अब सरकार ने स्वयं मोर्चा संभाल लिया है.
सरकार ने संभाली कमान
बिहार की शान मुजफ्फरपुर की शाही लीची को देश के बाकी हिस्सों तक पहुंचाने का काम अब स्वयं बिहार सरकार ने उठा लिया है. लॉकडाउन के दौरान कृषि मंत्रालय मुजफ्फरपुर की शाही लीची के कारोबारियों और किसानों को फायदा देगी, इसके लिए रणनीति बना ली गई है.
सरकार करेगी हॉर्टिकल्चर मार्केटिंग
शाही लीची और आम के प्रति खरीददारों को आकर्षित करने के लिए सरकार अब खुद नए प्लेटफार्म के तहत हॉर्टिकल्चर मार्केटिंग ग्रुप तैयार करेगी. इस ग्रुप से देश के अलग-अलग बड़े उत्पादकों और व्यवसाइयों को जोड़ा जाएगा. वहीं लोगों को लीची के बारे में बताने के लिए सोशल मीडिया का सहारा भी लिया जाएगा.
इस तरह काम करेगा ग्रुप
इस ग्रुप में देश भर के उत्पादक और कारोबारी आपसमें संवाद कर मोल-भाव कर सकेंगें. इतना ही नहीं वर्तमान में आ रही शिकायतों या किसी तरह की मदद या सहायता के बारे में भी मंत्रालय को अवगत करा सकेंगें.
बिहार की लीची को मिल चुका है जीआई टैग
बिहार की लीची अपनी विशेषताओं के कारण दुनया भर में प्रसिद्ध है. यही कारण है कि इसे जीआई टैग भी मिल चुका है. प्रदेश के मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली, पूर्वी चंपारण और बेगूसराय के इलाकों में इसकी खेती मुख्य तौर पर होती है.
क्या है जीआई टैग?
जीआई टैग का मतलब जियोग्रॉफिल इंडीकेशन सर्टिफिकेशन से है, किसी क्षेत्र के विशेष उत्पादों को खास पहचान देने के लिए इस सर्टिफिकेट का उपयोग किया जाता है.