PPR Vaccination: स्वस्थ पशु, समृद्ध किसान का आधार होते हैं. यदि समय पर टीकाकरण कराया जाए, तो संक्रामक बीमारियों से बचाव संभव है. बिहार सरकार का ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. बिहार सरकार का पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग राज्य में पशुओं को संक्रामक रोगों से बचाने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है. इसी क्रम में ‘पी.पी.आर.’ (Peste des Petits Ruminants) नामक बीमारी से बकरियों, भेड़ों और मेमनों को सुरक्षित रखने के लिए विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है.
आइए राज्य सरकार की इस पहले के बारे में विस्तार से जानते है...
क्या है पी.पी.आर. रोग? (What is PPR Disease?)
पी.पी.आर. एक बेहद संक्रामक वायरस जनित रोग है, जो मुख्यतः बकरियों और भेड़ों में फैलता है. यह रोग पशुओं में तेज बुखार, नाक और आंखों से बहाव, सांस लेने में कठिनाई और दस्त जैसे लक्षणों के साथ गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है. समय पर इलाज न होने पर इससे पशुओं की मृत्यु भी हो सकती है.
कब और किन पशुओं को लगवाना है टीका?
पशुपालन निदेशालय के अनुसार, 4 माह की उम्र से अधिक उम्र के सभी मेमनों, बकरियों और भेड़ों को पी.पी.आर. का टीका लगवाना चाहिए. एक बार टीका लगवाने से पशु तीन वर्षों तक इस बीमारी से सुरक्षित रहते हैं. यह टीका पूरी तरह सुरक्षित और असरदार है.
पशुपालकों से अपील
सरकार ने राज्य के सभी पशुपालकों से अनुरोध किया है कि वे अपने पशुओं को समय पर टीका जरूर दिलवाएं. इस अभियान का उद्देश्य न केवल पशुओं को बीमारी से बचाना है, बल्कि पशुपालकों की आर्थिक क्षति को भी रोका जा सके. बीमार पशु उत्पादन में कमी लाते हैं जिससे पशुपालकों की आमदनी पर भी प्रभाव पड़ता है.