अक्सर देखा गया है कि कई राज्य के किसान अपने खेत में बची हुई फसल के अवशेष को खेतों में ही जलाकर उसे नष्ट कर देते हैं. ताकि किसानों का समय बच सके. लेकिन ऐसा करना गलत है. फसल अवशेषों को खेत में जालने की परेशानी को देखते हुए बिहार कृषि विभाग ने राज्य के किसानों से अपील की है कि वह फसलों के बचे अवशेषों, खुंटी आदि को खेतों में न जलाए. अगर वह खेतों में इन्हें जलाते हैं, तो इसे मिट्टी व पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है. कहा जाता है कि फसल अवशेष जो जलाएं. पर्यावरण, उर्वरता, उत्पादकता खोयें.
ऐसे में आइए बिहार कृषि विभाग के द्वारा जारी की गई एडवाइजरी के मुताबिक, किसानों को फसल के बचे हुए अवशेष को क्यों नहीं जलाना चाहिए और उन अवशेषों का क्या करना चाहिए. इसके बारे में जानते हैं...
फसल के अवशेषों को लेकर कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी
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बिहार कृषि विभाग ने बताया कि फसल अवशेषों जलाने से मिट्टी का तापमान/Soil Temperature बढ़ता है जिसके कारण मिट्टी में उपलब्ध जैविक कार्बन जो पहले से ही हमारी मिट्टी में कम है और भी जल कर नष्ट हो जाता है. फलस्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है.
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फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि मर जाते हैं. इनके मिट्टी में रहने से ही मिट्टी “जीवन्त” कहलाता है. अवशेषों को जलाने से हम मिट्टी को “मरणासन्न” अवस्था की ओर ले जा रहे हैं.
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जमीन के लिए जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं.
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अवशेष को जलाने से मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है, जिसके कारण उत्पादन घटता है.
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फसल अवशेषों को जलाने से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की मात्रा बढ़ती है, जिसके वातावरण प्रदूषित होता है एवं जलवायु परिवर्तन का कारण बनता है.
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एक टन फसल के अवशेष जलने से लगभग 60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड, 1460 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड तथा 2 किलोग्राम सल्फर डाइऑक्साइड गैस निकालकर वातावरण में फैलता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है
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अवशेषों को जलाने की बजाय करें ये काम
यदि फसल की कटाई हार्वेस्टर से की गई हो तो खेत में फसलों के अवशेष, खुंटी आदि को जलाने के बदले स्ट्रॉ रीपर मशीन से भूसा बना लें. अपने फसल के अवशेषों को खेतों में जलाने के बदले वर्मी कम्पोस्ट बनाने, मिट्टी में मिलाने, पलवार विधि (Mulching) से खेती आदि में व्यवहार कर मिट्टी को बचायें तथा संधारणीय कृषि पद्धति में अपना योगदान दें.