मानसून में Kakoda ki Kheti से मालामाल बनेंगे किसान, जानें उन्नत किस्में और खेती का तरीका! ये हैं धान की 7 बायोफोर्टिफाइड किस्में, जिससे मिलेगी बंपर पैदावार दूध परिवहन के लिए सबसे सस्ता थ्री व्हीलर, जो उठा सकता है 600 KG से अधिक वजन! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Karz maafi: राज्य सरकार की बड़ी पहल, किसानों का कर्ज होगा माफ, यहां जानें कैसे करें आवेदन Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Krishi DSS: फसलों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से सरकार ने लॉन्च किया कृषि निर्णय सहायता प्रणाली पोर्टल
Updated on: 10 May, 2024 11:12 AM IST
फसल अवशेषों को लेकर कृषि विभाग ने जारी की सलाह, सांकेतिक तस्वीर

अक्सर देखा गया है कि कई राज्य के किसान अपने खेत में बची हुई फसल के अवशेष को खेतों में ही जलाकर उसे नष्ट कर देते हैं. ताकि किसानों का समय बच सके. लेकिन ऐसा करना गलत है. फसल अवशेषों को खेत में जालने की परेशानी को देखते हुए बिहार कृषि विभाग ने राज्य के किसानों से अपील की है कि वह फसलों के बचे अवशेषों, खुंटी आदि को खेतों में न जलाए. अगर वह खेतों में इन्हें जलाते हैं, तो इसे मिट्टी व पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है. कहा जाता है कि फसल अवशेष जो जलाएं. पर्यावरण, उर्वरता, उत्पादकता खोयें.

ऐसे में आइए बिहार कृषि विभाग के द्वारा जारी की गई एडवाइजरी के मुताबिक, किसानों को फसल के बचे हुए अवशेष को क्यों नहीं जलाना चाहिए और उन अवशेषों का क्या करना चाहिए. इसके बारे में जानते हैं...

फसल के अवशेषों को लेकर कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी

  • बिहार कृषि विभाग ने बताया कि फसल अवशेषों जलाने से मिट्टी का तापमान/Soil Temperature बढ़ता है जिसके कारण मिट्टी में उपलब्ध जैविक कार्बन जो पहले से ही हमारी मिट्टी में कम है और भी जल कर नष्ट हो जाता है. फलस्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है.

  • फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि मर जाते हैं. इनके मिट्टी में रहने से ही मिट्टी “जीवन्त” कहलाता है. अवशेषों को जलाने से हम मिट्टी को “मरणासन्न” अवस्था की ओर ले जा रहे हैं.

  • जमीन के लिए जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं.

  • अवशेष को जलाने से मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है, जिसके कारण उत्पादन घटता है.

  • फसल अवशेषों को जलाने से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की मात्रा बढ़ती है, जिसके वातावरण प्रदूषित होता है एवं जलवायु परिवर्तन का कारण बनता है.

  • एक टन फसल के अवशेष जलने से लगभग 60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड, 1460 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड तथा 2 किलोग्राम सल्फर डाइऑक्साइड गैस निकालकर वातावरण में फैलता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है

ये भी पढ़ें: फसल अवशेष जलाने की समस्या, कारण, प्रभाव और समाधान

अवशेषों को जलाने की बजाय करें ये काम

यदि फसल की कटाई हार्वेस्टर से की गई हो तो खेत में फसलों के अवशेष, खुंटी आदि को जलाने के बदले स्ट्रॉ रीपर मशीन से भूसा बना लें. अपने फसल के अवशेषों को खेतों में जलाने के बदले वर्मी कम्पोस्ट बनाने, मिट्टी में मिलाने, पलवार विधि (Mulching) से खेती आदि में व्यवहार कर मिट्टी को बचायें तथा संधारणीय कृषि पद्धति में अपना योगदान दें.

English Summary: bihar Agriculture department issued advisory regarding crop residues in hindi
Published on: 10 May 2024, 11:17 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now