केंद्र सरकार ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सर्वण वोट बैंक को साधने के लिए मास्टरस्ट्रोक खेला है. दरअसल मोदी सरकार ने फैसला लिया है कि वह सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देगी. 7 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर मुहर लगाई गई. इस फैसले के तहत आर्थिक रूप से कमजोर सर्वण लोगों को आरक्षण दिया जाएगा. आरक्षण का लाभ सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में मिलेगा. आरक्षण का फॉर्मूला 50%+10 % का होगा.
ख़बरों के मुताबिक, लोकसभा में मंगलवार को मोदी सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी बिल पेश कर सकती है. ख़बरों के मुताबिक इस दिन सरकार संविधान में संशोधन के लिए बिल भी ला सकती है. इसके तहत आर्थिक आधार पर सभी धर्मों के सवर्णों को आरक्षण दिया जाएगा. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन होगा. केंद्र सरकार के इस फैसले पर वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसे कहते हैं 56 इंच का सीना. सरकार के इस बड़े फैसले का भारतीय जनता पार्टी ने स्वागत किया है.
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि गरीब सवर्णों को आरक्षण मिलना चाहिए. पीएम मोदी की सबका साथ सबका विकास की नीति है. सरकार ने सवर्णों को उनका हक दिया है. पीएम मोदी देश की जनता के लिए काम कर रहे हैं. गौरतलब है कि कुछ ही महीने बाद लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला भाजपा के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है. हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार हुई थी. इस हार के पीछे सवर्णों की नाराजगी को अहम वजह बताया गया था.
पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी+ को 80 में से 73 सीटें मिली थीं. इस बार बीजेपी को चुनौती देने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने हाथ मिला लिया है. इसके बाद माना जा रहा था कि बीजेपी इस गठबंधन से निपटने के लिए कोई बड़ा कदम उठा सकती है. सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले को सरकार का मास्टस्ट्रोक माना जा रहा है.