भारतीय रिज़र्व बैंक ने 28 अप्रैल, 2020 को स्पीकिंग ऑर्डर नंबर DOR.CO.AID / LC02 / 12.22.035 / 2019-20 के तहत सीकेपी को-ऑपरेटिव बैंक (CKP) का लाइसेंस रद्द कर दिया. बैंक ने यह साफ़ कर दिया है कि सीकेपी को-ऑपरेटिव बैंक को बचाने के लिए इसके रिवाइवल या मर्जर का कोई खाका तैयार नहीं किया गया है. RBI द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में साफ लिखा है कि इस बैंक की वित्तीय स्थिति अत्यधिक जोखिम भरी और अस्थिर है. इसके साथ ही बैंक प्रबंधन की ओर से इसके लिए कोई जरूरी प्रतिबद्धता दिखाई नहीं दे रही है. बैंक ऐसी स्थिति में भी नहीं है कि वो अपने मौजूदा और भविष्य (जैसे फिक्स डिपॉजिट) खाताधारकों को पेमेंट कर सके. साथ ही इस बैंक ने न्यूनतम पूंजीगत जरूरतों के नियम को भी तोड़ा है.
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने एक बयान में कहा कि उनका इस बैंक के लाइसेंस रद्द करने करने की कोई मंशा नहीं थी, यह फैसला आम लोग और जमाकर्ताओं को ध्यान में रखकर लिया जा रहा है. इस समय बैंक की स्थिति न सिर्फ जमाकर्ताओं के लिए हानिकारक है, बल्कि आम लोगों के हित में भी नहीं है.
इस तरह मिलेंगे 5 लाख रुपए
बता दें, किसी बैंक का लाइसेंस रद्द करने के बाद लिक्विडेशन प्रक्रिया शुरू होती है. जिसके बाद डीआईसीजीसी एक्ट, 1961 भी प्रभावी हो जाता है. अब इसी डीआईसीजीसी एक्ट के तहत ही को-ऑपरेटिव बैंक के मौजूदा ग्राहकों को पेमेंट किया जाएगा. बता दें कि अब CKP को-ऑपरेटिव बैंक के ग्राहकों को उनके डिपॉजिट के आधार पर 5 लाख रुपये तक दिए जाएंगे.
क्या है DICGC एक्ट
DICGC एक्ट, 1961 की धारा 16 (1) के तहत यह प्रावधान है कि यदि कोई बैंक डूबती है या दिवालिया हो जाती है तो DICGC बैंक के हर एक ग्राहक को भुगतान करता है. बता दें कि हर जमाकर्ता की राशि पर 5 लाख का बीमा होता है. यदि आपका एक ही बैंक के कई शाखाओं में खाता है तो आपका पैसा जोड़कर मिलेगा. जिसमें ब्याज भी जुड़ा होगा. किसी भी व्यक्ति का केवल 5 लाख रुपए तक जमा को ही सुरक्षित माना जाएगा. मतलब साफ है कि यदि मूलधन और ब्याज जोड़कर 5 लाख से ज्यादा है तो सिर्फ 5 लाख ही सुरक्षित माना जाएगा.
RBI द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के लिए इस लिंक पर विजिट करें : https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR23043CE35E7543544F9CA6DB2130E602B7FA.PDF