पंजाब के किसान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के एक फैसले से खासे नाराज हैं. दरअसल, चन्नी सरकार ने 10 नवंबर के बाद धान की फसल की खरीद पर रोक लगाने का फैसला किया है. सरकार का दावा है कि अब प्रदेश की मंडियों में धान नहीं आ रहा है.
पहले ही तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं और अब फिर किसान पंजाब सरकार के एक और फैसले को लेकर मुखर हो रहे हैं. दरअसल, पंजाब सरकार ने धान की फसल की खरीद 10 नवंबर के बाद बंद करने का फैसला किया है. सरकार की ओर से यह दावा किया गया है. कि अब प्रदेश की अधिकांश मंडियों को धान नहीं मिल रहा है, इसलिए खरीदी रोकी जा रही है.
नाराज़ है किसान
पंजाब मंडी बोर्ड के मुताबिक, अब तक गैर-बासमती धान की 80 फीसदी संभावित आवक मंडियों में पहुंच चुकी है. यानि 10 नवंबर के बाद अगर कोई किसान धान की फसल लेकर मंडियों में पहुंचता है, तो उसकी खरीदी नहीं की जाएगी. सरकार के इस फैसले को लेकर उन किसानों में आक्रोश है, जिनकी फसल अभी भी खेतों में खड़ी है या इसे पकने में अगले 10 दिन लगेंगे.
राज्य सरकार के इस फरमान के बाद जहां कई किसानों ने अपनी आधी पकी फसलों को काटकर मंडियों तक पहुंचाना शुरू कर दिया है. वहीं, इस फसल में नमी अधिक होने से किसानों को अब पूरा एमएसपी नहीं मिलने का डर भी सता रहा है.
गौरतलब है कि जल्दबाजी में काटी गई फसल में नमी की मात्रा 25 से 26 प्रतिशत होती है, जबकि खरीद 17 प्रतिशत तक नमी वाली फसलों के लिए ही की जाती है.
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किसानों में फैला आक्रोश
वहीं, कई किसानों की फसल अभी भी खेतों में खड़ी है और इसे पकने में 10 से 15 दिन का समय लग सकता है. किसानों ने कहा है कि अगर वे फसल पकने का इंतजार करते हैं, तो वे इसे मंडी में औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर होंगे, क्योंकि 10 नवंबर के बाद फसल पर एमएसपी नहीं मिलेगा. इसके बाद पंजाब के काफी किसान परेशान नजर आ रहे हैं.
इतना ही नहीं, किसानों का यह भी कहना है कि जल्दबाजी में फसल की कटाई से उन्हें भारी नुकसान हुआ है. अब अगर खरीद की अवधि नहीं बढ़ाई गई, तो वह कम कीमत पर फसल बेचने को मजबूर होंगे.