किसानों की समस्या को लेकर हमेशा कोई न कोई आवाज उठाता रहा है. किसान नेता रहे भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने हमेशा किसानों के लिए लडाई लड़ी अब उनके पुत्र नरेश टिकैत भी किसानों के हक़ की लडाई लड़ रहे हैं. इसके लिए भाकियू की किसान क्रांति यात्रा निकाल रही है. इस यात्रा मुज़फ्फरनगर में जोरदार स्वागत हुआ। किसान जहां पैदल चल रहे थे, वहीं बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्राली भी यात्रा में साथ चले। इस अवसर पर भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि क्रांति यात्रा में शामिल किसानों की भीड़ केंद्र और प्रदेश सरकारों के खिलाफ आक्रोश का प्रतीक है। टिकैत ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियां किसानों को स्वीकार नहीं है। हरिद्वार के टिकैत घाट से लेकर दिल्ली के किसान घाट तक जाने वाली भाकियू की किसान क्रांति यात्रा बुधवार शाम शहर में पहुंची।
यात्रा का शहर में एंट्री करने पर भव्य स्वागत किया गया। किसान यात्रा की अगुवाई भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने खुद की। यात्रा में जहां सैकड़ों किसान उनके साथ पैदल चले, वहीं बड़ी संख्या में ट्रेक्टर-ट्राली में बैठे किसान साथ रहे। किसान यात्रा में पश्चिम के साथ पूर्वांचल के किसान बड़ी संख्या में दिखाई दिए। रामपुर तिराहे से रुड़की रोड होते हुए किसान यात्रा शिव चौक पर पहुंची। शिव चौक पर क्रेन के माध्यम से पैदल चल रहे किसानों पर फूलों की वर्षा की गई। शिवचौक पर महिलाओं ने किसान क्रांति यात्रा पर फूलों की बारिश कर गर्मजोशी से स्वागत किया। वहीं, किसान क्रांति यात्रा का मीनाक्षी चौक पर मुस्लिम समाज के लोगों ने भव्य स्वागत किया।
पत्रकारों से बातचीत में भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि यात्रा में उमड़ी भीड़ किसानों का सरकार के खिलाफ आक्रोश है। यह एक वैचारिक क्रांति है। केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियों के कारण ही किसान बर्बाद हो रहा है। किसानों को विवश होकर सड़कों पर उतरना पड़ा है। किसानों की मांग है कि उनका समस्त कर्ज माफ हो। बकाया गन्ने का तुरंत भुगतान हो। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए। एनसीआर में दस साल से ऊपर के ट्रैक्टरों, पंपिंग सेट आदि पर रोक का आदेश समाप्त किया जाए। कृषि को मनरेगा से जोड़ा जाए, किसानों को बिजली मुफ्त दी जाए. इन्ही मांगो के साथ भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत इस किसान क्रांति यात्रा को लेकर दिल्ली पहुंचेंगे. यह तो समय ही बताएगा की इस यात्रा का कितना असर सरकार पर होगा.
कृषि जागरण
सुजीत पाल