भारत की प्रमुख परमाणु अनुसंधान केंद्र भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) ने कृषि क्षेत्र के लिए एक नई पहल की है. संस्थान ने परमाणु विकिरण आधारित तकनीक का उपयोग करते हुए 8 नई फसल किस्मों का विकास किया है. इनमें अनाज और तिलहन फसलों की किस्में शामिल हैं, जो बेहतर उत्पादन क्षमता और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए तैयार की गई हैं. BARC की यह पहल कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ा कदम है. इन किस्मों के विकास में राज्य कृषि विश्वविद्यालयों का भी सहयोग रहा है. इन 8 किस्मों का विकास परमाणु विकिरण-आधारित म्यूटेशन ब्रीडिंग तकनीक के माध्यम से किया गया है. इनमें से कुछ किस्मों को जलवायु परिस्थितियों और मिट्टी के प्रकार को ध्यान रखते हुए तैयार किया गया है. ये किस्में तापमान बढ़ने के बाद भी गेहूं की उत्पादन क्षमता को सुधारने का काम करेगी.
1. गेहूं की दो नई किस्में: ज्यादा उपज और रोग प्रतिरोधकता
Triticum aestivum Wheat-153 (TAW-153):
- यह किस्म राजस्थान की जलवायु के लिए उपयुक्त है.
- उच्च तापमान में भी बेहतर उपज देती है.
- ब्लास्ट और पाउडरी मिल्ड्यू जैसे फंगल रोगों के प्रति प्रतिरोधी.
Raj Vijay Wheat-155 (RW-155):
- मध्य प्रदेश के लिए विकसित की गई है.
- इसमें आयरन और जिंक की उच्च मात्रा पाई जाती है.
- बेहतर आटे की गुणवत्ता के साथ फंगल रोगों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता.
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2. धान की तीन नई किस्में: तेजी से पकने वाली और पोषण युक्त
बौना लुचाई (Bauna Luchai):
- जल्दी पकने वाली और गिरने से बचने वाली किस्म.
- पारंपरिक लुचाई किस्म से 40% ज्यादा उपज देती है.
संजीवनी (Sanjeevani):
- 350 से अधिक फाइटोकेमिकल्स से भरपूर.
- स्वास्थ्यवर्धक चावल की बढ़ती मांग को पूरा करती है.
- इसका विकास IGKV रायपुर के सहयोग से हुआ है.
ट्रॉम्बे कोंकण खारा (Trombay Konkan Khara):
- महाराष्ट्र के खारे तटीय इलाकों के लिए उपयुक्त.
- कठोर जलवायु परिस्थितियों में भी बेहतर परिणाम देती है.
3. तिलहन फसलों की नई किस्में: अधिक उपज और बेहतर तेल गुणवत्ता
Trombay Mustard-2 (TM-2):
- राजस्थान के लिए अनुकूल.
- 14% अधिक उपज और फंगल रोगों के प्रति प्रतिरोधक.
Trombay Latur-10 (TL-10):
- महाराष्ट्र के किसानों के लिए विकसित.
- तिल की इस किस्म से 20% अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है.
Chhattisgarh Trombay Groundnut (CGTG):
- छत्तीसगढ़ के लिए उपयुक्त.
- वर्षा और गर्मी में भी बेहतर परिणाम.
- इसमें 49% तक तेल की उच्च सामग्री होती है.
कैसे होगा इन किस्मों का फायदा?
BARC द्वारा विकसित ये किस्में न केवल फसल की पैदावार बढ़ाने में सहायक होंगी, बल्कि अलग-अलग जलवायु परिस्थितियों में उगाई जा सकेंगी. ये किस्में स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद देने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने में भी मददगार साबित होंगी. आपकी जानकारी के लिए बता दें, भाभा एटॉमिक सेंटर ने पिछले 70 सालों में विभिन्न फसलों की किस्मों को विकसीत किया है.