ड्रिप-मल्चिंग तकनीक से हो रही उन्नत खेती, जानें क्या है यह विधि और किन फसलों के लिए है लाभदायक Flowers Tips: पौधों में नहीं आ रहे हैं फूल तो अपनाएं ये सरल टिप्स ICAR-IARI ने कई पदों पर निकाली भर्ती, बिना परीक्षा होगी सीधी भर्ती, वेतन 54,000 रुपये से अधिक, ऐसे करें अप्लाई Small Business Ideas: कम लागत में शुरू करें ये बिजनेस, हर महीने होगी मोटी कमाई! एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 3 June, 2020 2:49 PM IST

उत्तर पश्चिम भारत के करीब 9 राज्यों में जिस तरह टिड्डियों के दल ने आतंक मचाया है उससे पश्चिम बंगाल समेत पूर्वी भारत के राज्यों में भी किसानों की चिंता बढ़ गई है. अगर मानसून के पहले टिड्डियों को नियिंत्रत नहीं किया गया तो उनके पश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़िशा व पूर्वी भारत के अन्य राज्यों में बढ़ने की आशंका है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पड़ोसी राज्य झारखंड और बिहार ने तो कुछ जिलों में सतर्कता जारी कर दी है. किसानों को भी स्थिति से निपटने के लिए सतर्क किया गया है. हालांकि पश्चिम बंगाल में टिड्डियों के आक्रमण को लेकर भी सतर्कता जारी नहीं हुई है लेकिन कृषि विभाग स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है.

राज्य सचिवालय नवान्न सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को पत्र लिख कर टिड्डियों की रोकथाम करने वाली केंद्रीय टीम के संपर्क में रहने की हिदायत दी है. प्राप्त खबरों के मुताबिक केंद्रीय गृह सचिव ने बिहार, झारखंड और ओड़िशा समेत पूर्वी भारत के अन्य राज्यों को भी पत्र लिखकर टिड्डियों की रोकथाम के लिए एहतियाती कदम उठाने और केंद्रीय टीम के साथ समन्वय करने की सलाह दी है. कृषि मंत्रालय ने दो सप्ताह के अंदर मानसून के पहले ही संबंधित क्षेत्रों में टिड्डियों के प्रभाव को खत्म करने का प्रयास तेज कर दिया है. हेलीकाप्टर और ड्रोन से टिड्डियों के प्रभाव वाले क्षेत्रों में कीटनाशक का छिड़काव करने के लिए केंद्र सरकार ने ब्रिटेन से 15 स्प्रेयर की खरीद की है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस तरह के छोटे-छोटे फतिंगे से फसलों का भारी नुकसान होने की आशंका पर चिंता जता चुके हैं. कृषि मंत्रालय टिड्डियों के प्रभाव वालें क्षेत्रों में ही उनको नष्ट कर देने की रणनीति पर काम कर रहा है. इसलिए विदेश से स्प्रेयर मंगाए गए हैं.पश्चिम बंगाल के कृषि विभाग भी स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है ताकि टिड्डियों का कोई दल राज्य में प्रवेश नहीं कर सके. राज्य के कृषि विभाग के अधिकारियों ने इस संबंध में केंद्रीय कीट नियंत्रक प्रभाग के साथ एक दौर की बैठक की है. केंद्रीय कीट नियंत्रक प्रभाग के हवाले से कृषि विभाग ने राज्य के किसानों को आश्वस्त किया है कि बंगाल में टिड्डियों के प्रवेश की संभावना नहीं है. उन्हें प्रभावित क्षेत्रों में ही समूल नष्ट कर देने की प्रक्रिया तेज हुई है. इसके बावजूद कृषि विभाग स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है.

उल्लेखनीय कि 27 वर्षों बाद उत्तर-पश्चिम भारत में टिड्डियों का आतंक देखने के बावजूद बंगाल में 40 वर्षों में इनका कोई प्रभाव नहीं देखा गया है. पश्चिम बंगाल में 1961 में टिड्डियों के दुष्प्रभाव का उल्लेख मिलता है. लेकिन देश के कई हिस्सों में 1993 में व्यापक रूप में टिड्डियों का हमला हुआ था जिसमें फसलों का भारी नुकसान हुआ था. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार टिड्डियों का जो दल भारत में प्रवेश करने में सफल हुआ है उसका उद्गम स्थल पूर्व अफ्रिका के सोमालिया और इथोपिया जैसे देश हैं. टिड्डियों के दल ने इरान के मरुस्थल से होकर आफगानिस्तान और पाकिस्तान के रास्ते राजस्थान के मरुस्थल में पहुंचा और यहां अपना घर बना लिया. टिड्डियों के लिए शुष्क प्रदेश अनुकूल होता है लेकिन इनमें प्रजनन के लिए नमी वाले क्षेत्र सहायक होते हैं. नमी वाले क्षेत्रों में टिड्डियां अंडे देती हैं. राजस्थान के मरुस्थल में सितंबर-अक्टूबर में कुछ वर्षा के कारण नमी होने पर तेजी से टिड्डियों की वंश वृद्धि हुई और देखते- देखते गुजरात, पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत 9 राज्यों में इनका आतंक फैल गया.

प्राप्त खबरों के मुताबिक सरकार को इन क्षेत्रों में टिड्डियों के दुष्प्रभाव से 90 हजार हेक्टेयर भूमि में फसलों को बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है. टिड्डियों के दल खेतों में तैयार फसल को बहुत तीब्र गति से नष्ट करते हैं. एक स्थान से दूरसे स्थानों में पहुंचने की इनकी गति बहुत तीब्र होती है जो हवा की दिशा पर निर्भर करती है. टिड्डियों का दल सैकड़ों किलो मीटर की रफ्तार से एक स्थान से दूसरे स्थान में पहुंचने में सक्षम है. मानसून के साथ किसी तरह यदि टिड्डियों का दल पश्चिम बंगाल या पड़ोसी राज्य झारखंड- बिहार में पहुंच जाता है तो पूर्वी भारत भी उनके आतंक की चपेट में आ सकता है. इसलिए कृषि मंत्रालय की दक्ष टीम संबंधित राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर काम कर रही है.

ये खबर भी पढ़े: किसान ने 2 एकड़ में की सब्जियों की खेती, लाखों रुपए की हुई आमदनी !

English Summary: Bengal confident of being free from the effects of locusts
Published on: 03 June 2020, 02:57 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now