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Updated on: 19 October, 2024 2:48 PM IST
Farmer at Dr. Rajaram Tripathi's, Australian Teak Farm in Chhattisgarh

Australian Teak Farming in India: आमतौर पर विश्व में अकेसिया बबूल की 1200 से भी ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. भारत में लगभग सर्वत्र पाए जाने वाला बबूल भी इसी अकेसिया की एक प्रजाति है. पान में जिस कत्था को हम खाते हैं वह भी इसी की एक अन्य प्रजाति की लकड़ी से प्राप्त किया जाता है. आज यहां हम इसकी एक विशेष प्रजाति की चर्चा कर रहे हैं जिसका ऑस्ट्रेलिया तथा अन्य कई देशों में बहुत बड़े पैमाने पर व्यावसायिक रोपण किया गया है और इससे वहां के किसान भरपूर मुनाफा कमा रहे हैं.

इसकी लकड़ी का व्यापार जगत में लोकप्रिय स्थापित नाम ऑस्ट्रेलियन-टीक है. बेहतरीन, खूबसूरत, टिकाऊ, बहुमूल्य लकड़ी के सभी प्रमुख गुणों यथा कठोरता, घनत्व, मजबूती एवं लकड़ी में पाए जाने वाले रेशों के मापदंड पर इसकी लकड़ी आजकल पाए जाने वाले सागौन से कहीं भी उन्नीस नहीं बैठती. यही कारण है कि बहुत कम समय में ही ऑस्ट्रेलियन-टीक ने न केवल अपार लोकप्रियता हासिल की कर ली है और लकड़ी के व्यापार में बहुत बड़ा मुकाम बना लिया है.

जैसा कि हम जानते ही हैं कि भारत हर साल लगभग 40 लाख करोड़ की लकड़ी व नॉन टिंबरवुड आयात करता है. इस हिसाब से इसकी खेती करने पर किसानों को न केवल बेहतरीन आमदनी होगी बल्कि देश की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी.

यह एक तेज़ी से बढ़ने वाली प्रजाति है, जो न केवल उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करती है, बल्कि इसकी लकड़ी का व्यापारिक मूल्य भी अत्यधिक है. मॉडर्न तो श्री हर्बल फार्म 2017 सेंटर पर पिछले 30 सालों में किए गए प्रयोगों से यह स्पष्ट हो गया कि इसकी बढ़वार लंबाई तथा मोटाई दोनों ही मामलों में महोगनी,शीशम, मिलिया डुबिया, मलाबार नीम तथा टीक की अन्य प्रजातियों की तुलना में सर्वाधिक है.

कई मामलों में तो इसकी वृद्धि ‌इन सबसे दुगनी तक पाई गई है. इसकी विशेषता तेज़ वृद्धि, उच्च गुणवत्ता की लकड़ी, और मिट्टी को समृद्ध करने की क्षमता में निहित है. वर्तमान में देश में उपलब्ध सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली और उच्चतम गुणवत्ता की लकड़ी उत्पादन देने वाली Acacia Mangium की एकमात्र विकसित प्रजाति MHAT-16 है, जिसे मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म्स एवं रिसर्च सेंटर, कोंडागांव ने पिछले कई दशकों के प्रयास से विकसित किया है.

यह न केवल बेहतर गुणवत्ता की लकड़ी उत्पादन देती है, बल्कि मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा भी बड़ी तेजी से बढ़ाती है, जिससे यह एक टिकाऊ और लाभकारीऔर इको-फ्रेंडली विकल्प बन जाती है.

1. सही पौधे का चयन (Seedling Selection): सफलता की कुंजी

Acacia Mangium वृक्षारोपण की सफलता सबसे पहले इस बात पर निर्भर करती है कि कौन से पौधे चुने जाते हैं. इस प्रजाति में चयन करने की दिक्कत इसलिए बढ़ जाती है कि ज्यादातर प्रजातियों के पत्ते लगभग एक जैसे ही दिखाई देते हैं लेकिन असली फर्क लकड़ी की गुणवत्ता में रहता है. MHAT-16 प्रजाति का पौधा अपने तेज़ी से विकास और मजबूत जड़ प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है. पौधे के स्वास्थ्य, उसकी जड़ प्रणाली और तने की मोटाई जैसे कारकों को ध्यान में रखना चाहिए. उच्च shoot/root अनुपात वाले पौधे तेजी से बढ़ते हैं और विपरीत परिस्थितियों में बेहतर जीवित रहते हैं.

मुख्य बिंदु:

  • पौधा रोग-मुक्त और कीट-मुक्त होना चाहिए.

  • अच्छी तरह से विकसित जड़ प्रणाली (lateral root system) होना चाहिए.

  • तना मजबूत और काष्ठीय होना चाहिए.

2. पौधों का रोपण (Outplanting): समय पर और सही जगह

Acacia Mangium (MHAT-16) के पौधों को तीन से पांच महीने की आयु के बाद रोपण के लिए तैयार किया जा सकता है. इसके पौधे पोली बैग या रुट ट्रैनर्स (root trainers) में उगाए जाते हैं. वर्षा ऋतु रोपण के लिए सर्वोत्तम समय होती है, हालांकि सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो तो इसे शीत ऋतु में भी लगाया जा सकता है. जिनके पास ड्रिप इरीगेशन की सुविधा हो वह इस 15 मार्च तक भी लगा सकते हैं.

मुख्य बिंदु:

  • पौधों की ऊंचाई 25-40 सेमी होनी चाहिए.

  • रोपण के लिए मानसून का समय आदर्श होता है.

3. कटिंग से पौधों का उत्पादन (Propagation through Cuttings): एक सस्ती और कारगर विधि

Acacia Mangium के इस विशेष प्रजाति के पौधे मुख्य रूप से स्टेम कटिंग (stem cuttings) के माध्यम से उगाए जाते हैं. MHAT-16 प्रजाति की कटिंग से उगाए गए पौधे तेज़ी से बढ़ते हैं और उनकी जड़ प्रणाली मजबूत होती है. कटिंग्स को IBA (Indole-3-butyric acid) के विशेष अनुपात के साथ उपचारित किया जाता है ताकि जड़ें जल्दी विकसित हों.

मुख्य बिंदु:

जड़ों के तीव्र गति से विकास हेतु वर्मी कंपोस्ट और साफ सुथरी रेती का मिश्रण सबसे उपयुक्त होता है.

4. सिंचाई (Irrigation): पौधों की वृद्धि की आवश्यकता:

Acacia Mangium (MHAT-16) के पौधों को नर्सरी अवस्था में तो नियमित नमी की आवश्यकता होती है. पौधों को हर दूसरे दिन पानी देना चाहिए, विशेषकर गर्म मौसम में. इससे पौधों का विकास तेज़ी से होता है और उनके मुरझाने की संभावना कम होती है. खेतों में लगाने के बाद एक बार भली-भांति जड़ पकड़ लेने के बाद इसे कोई विशेष सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती . हालांकि सिंचाई करते रहने पर इसके वृद्धि दर में बहुत अच्छे परिणाम देखे गए हैं..

मुख्य बिंदु:

  • पौधों को आवश्यकता अनुसार सिंचाई प्रदान करें.

  • गर्म मौसम में पौधे की हालत को देखते हुए पानी की मात्रा और आवृति तय करें.

5. ग्रेडिंग (Grading of Seedlings): गुणवत्ता का मानक:

Acacia Mangium के पौधों की ग्रेडिंग से यह सुनिश्चित किया जाता है कि केवल उच्च गुणवत्ता वाले पौधों का रोपण किया जाए. MHAT-16 प्रजाति के पौधों की जड़ प्रणाली मजबूत होती है और तने की मोटाई अच्छी होती है, जो plantation की सफलता को सुनिश्चित करता है.

मुख्य बिंदु:

  • उच्च गुणवत्ता वाले पौधों का उपयोग plantation की सफलता के लिए अनिवार्य है.

  • ग्रेडेड पौधों की रोपण से पौधे खेतों में बहुत कम मरते हैं और दोबारा रोपण की आवश्यकता कम होती है.

Richest Farmer of India Dr. Rajaram Tripathi at his Australian Teak Farm

6. संभावित आर्थिक लाभ (Economic Potential): निवेश का सुनहरा अवसर

Acacia Mangium (MHAT-16) से प्राप्त लकड़ी उच्च गुणवत्ता की होती है कई मायनों में यह आजकल मिलने वाली टीक की लकड़ी से भी बेहतर होती है. लगभग 10 साल बाद प्रत्येक पेड़ से औसतन 30-40 घन फीट लकड़ी प्राप्त की जा सकती है. इसकी वर्तमान बाजार दर ₹1000-₹1500 प्रति घन फीट है. यदि एक एकड़ में लगाए गए 800 पेड़ों में से 600 पेड़ भी सफलतापूर्वक विकसित होते हैं, तो 10 वर्षों के बाद होने वाली कुल आय करोड़ों में हो सकती है.

आय और लागत के वास्तविक आंकड़े और विश्लेषण:-

  • एक एकड़ में औसतन लगेंगे कुल पौधे- 800

  • प्रति पौधा लागत रु.100-150 औसतन- ₹125

  • कुल प्रारंभिक खर्च- ₹1,16,000.

  • रखरखाव लागत (प्रति वर्ष) प्रति एकड़- ₹10,000 दस हजार

(नोट: क्षेत्रफल बढ़ने पर या राशि कम होते जाती है)

  • कुल 10 वषों में कुल रखरखाव लागत- 10000×10=₹1,00,000.

  • कुल खर्च (10 वर्षों) में A+B= 116000 + 100000 =₹2,16,000 (रु.दो लाख सोलह हजार)

आमदनी:

  • औसतन लकड़ी उत्पादन प्रति पेड़= 35 घन फीट

  • लकड़ी की संभावित औसतन न्यूनतम 'कीमत (टीक के औसतन मूल्य 5000 प्रति क्यूबिक फीट का केवल 25= ₹1250 प्रति घन फीट

  • लगाए गए 800 पेड़ों में से केवल 600 उत्पादक पेड़ों (opting a conservative figure) से कुल लकड़ी=600 x35 = 21,000 घन फीट

  • लकड़ी का मूल्य = रु1250× 21000 घन फीट= 2,62,5000,( दो करोड़, बहसठ लाख, पचास हजार)

  • कुल आय (10 वर्षों में) ₹2,62,50,000

  • शुद्ध आय (10 वर्षों में) कुल आय 26250000- कुल खर्च 216000= ₹2,60,34,000

  • प्रति वर्ष औसत आय= 26034000 ÷ 10 वर्ष = ₹26,03,400 (लगभग छ्ब्बीस लाख रुपए) सालाना.

(नोट: यह गणना प्राप्त होने वाली लकड़ी के संभावित न्यूनतम मूल्य 1250 रुपए के बीच फीट पर की गई है तथा एक एकड़ के 800 पेड़ों में से केवल 600 पेड़ों के औसतन उत्पादन की गणना की गई है . पौधों के बेहतर देखभाल से उत्पादन में वृद्धि तथा लकड़ी का सही मूल्य मिलने पर एक एकड़ की आमदनी इससे दुगनी अर्थात 5 करोड रुपए प्रति एकड़ तक भी हो सकती है.)

(स्रोत: मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म्स एवं रिसर्च सेंटर कोंडागांव छ.ग.)

Richest Farmer of India Dr. Rajaram Tripathi, Australian Teak Farm

जबरदस्त अतिरिक्त आय:

  • आस्ट्रेलियन टीक (MHAT-16) के पेड़ों पर काली मिर्च MDBP-16 की बेल  चढ़ाकर को 5 लाख से लेकर 15 लाख रुपया सालाना की अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है.

  • ऑस्ट्रेलियन टीक और काली मिर्च के अलावा वृक्षारोपण के बीच खाली पड़ी पचासी प्रतिशत भूमि पर अंतर्वत्ति फसल (Intercropping) के रूप में औषधि और सुगंधी पौधों की खेती से भी अच्छी अतिरिक्त कमाई की जा सकती है.

निष्कर्ष: आर्थिक और पर्यावरणीय फायदे का सम्मिलित मॉडल

Acacia Mangium (Australian Teak) की MHAT-16 प्रजाति तेज़ी से बढ़ने वाली, टिकाऊ और अत्यधिक लाभदायक प्रजाति है, जो न केवल उच्च गुणवत्ता की लकड़ी प्रदान करती है, साल भर में अपने पतियों से लगभग 6 टन बेहतरीन हरी खाद भी देता है इसके अलावा यह अपनी तरह का इकलौता पौधा है जो वायुमंडल की नाइट्रोजन को लेकर धरती में इतनी ज्यादा मात्रा में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करता है कि इसे जैविक नाइट्रोजन की फैक्ट्री भी कहा जाता है. इसके रोपण से प्राप्त होने वाले आर्थिक लाभ और कम लागत ने आज इसे किसानों और निवेशकों के लिए एक आदर्श विकल्प बना दिया है.

आस्ट्रेलियन टीक MHAT-16 प्रजाति की विशेषताएं इसे अन्य किस्मों से बेहतर बनाती हैं, जिससे यह निवेश का सुनहरा अवसर प्रदान करती है.

Richest Farmer of India Dr. Rajaram Tripathi, Australian Teak Farm

मुख्य लाभ:

  • तेज़ी से बढ़ने वाली प्रजाति (MHAT-16)

  • उच्च गुणवत्ता वाली लकड़ी का उत्पादन

  • नाइट्रोजन स्थिरीकरण से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार

  • अंतर्वर्ती फसलों से अतिरिक्त आय

  • साल में इसके पत्तों से लगभग 6 तन की बेहतरीन गुणवत्ता की हरी खाद का उत्पादन,

  • इतना ही नहीं इस पेड़ पर काली मिर्च चढ़ाने पर इससे मिलने वाली नाइट्रोजन तथा पत्तों की हरी खाद के कारण काली-मिर्च का उत्पादन कई गुना बढ़ गया है, और इससे किसान की आमदनी भी में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है.

सुझाव: Acacia Mangium (MHAT-16) plantation को आर्थिक समृद्धि और पर्यावरणीय संरक्षण के दृष्टिकोण से एक आदर्श योजना माना जा सकता है. इसका सही प्रबंधन और देखभाल आपके निवेश को बड़े पैमाने पर लाभदायक बना सकता है.

(आंकड़ों का स्रोत: मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म्स एवं रिसर्च सेंटर, कोंडागांव छ.ग.)

English Summary: benefits of australian teak wood farming in india how to grow australian teak
Published on: 19 October 2024, 03:13 PM IST

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