बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर, किसानों को नारियल और ताड़ की खेती में वैज्ञानिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में लगातार कदम उठा रहा है। इसी क्रम में, 18 नवंबर 2025 को विश्वविद्यालय के उद्यान विभाग (फल एवं फल प्रौद्योगिकी) ने अखिल भारतीय समन्वित रोपण फसल परियोजना (नारियल एवं ताड़) की अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण का सफल आयोजन किया।
प्रशिक्षण का मुख्य विषय 'नारियल में समेकित पोषण एवं जल प्रबंधन' था, जिसमें 40 किसानों को नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों से अवगत कराया गया। कार्यक्रम का आयोजन परियोजना की मुख्य अन्वेषक और उद्यान विभाग (फल) की विभागाध्यक्ष डॉ. रूबी रानी के मार्गदर्शन में किया गया।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए निदेशक अनुसंधान, डॉ. अनिल कुमार सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रेरित किया। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि किसानों को कृषि में नए विचार, नवाचार और उद्यमिता विकास की सोच के साथ आगे आना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा, विश्वविद्यालय आपके साथ हर कदम पर है और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हम न केवल तकनीकी सहायता बल्कि वित्तीय सहयोग भी उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं। आपको नौकरी पाने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनना है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. मुकेश कुमार सिन्हा, सह-अधिष्ठाता-सह-प्राचार्य ने इस बात पर जोर दिया कि प्रशिक्षण तभी सफल होता है जब उससे किसानों की आर्थिक उन्नति सुनिश्चित हो सके। उन्होंने किसानों को उद्यान विभाग से विभिन्न विषयों की जानकारी प्राप्त करने और नई तकनीक अपनाने की सलाह दी ताकि उनके ज्ञान का विस्तार हो सके।
तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञों ने विस्तृत वैज्ञानिक ज्ञान साझा किया। डॉ. रूबी रानी ने नारियल की उन्नत रख-रखाव विधियों और समुचित पोषण प्रबंधन पर जानकारी दी, साथ ही किसानों के सवालों का समाधान भी किया। वहीं, डॉ. अहमर अफताब ने ताड़ की महत्ता और इससे बनने वाले मूल्य संवर्धित उत्पादों की विस्तृत जानकारी प्रदान की, जबकि डॉ. शशि प्रकाश ने नारियल आधारित कृषि प्रणाली के लाभ बताए। जल प्रबंधन की महत्ता बताते हुए डॉ. डी. के. जायसवाल ने नारियल में प्रभावी जल प्रबंधन के वैज्ञानिक उपायों के बारे में बताया।
कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रायोगिक प्रशिक्षण रहा, जहां किसानों को नारियल में उर्वरक डालने की संपूर्ण प्रक्रिया का प्रत्यक्ष प्रदर्शन (डेमो) कराया गया, जिससे उन्हें व्यवहारिक ज्ञान मिल सके। गौरतलब है कि प्रतिभागियों को प्रोत्साहन के रूप में नारियल के पौधे एवं छिड़काव मशीनें (इनपुट सामग्री) भी प्रदान की गईं। संपूर्ण कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. प्रीति सिंह, वैज्ञानिक, उद्यान विभाग द्वारा प्रभावी रूप से किया गया।