Success Story: धान की उन्नत किस्म PB-1121 ने दिलाया विक्की को खेती में नया मुकाम, लाखों मुनाफा कमा पेश कर रहे हैं मिसाल अब सिंचाई होगी आसान! राज्य सरकार दे रही है 80% तक अनुदान, लाभ उठाने के लिए करें ये काम STIHL Water Pump: स्मार्ट खेती का सही साथी – भरोसेमंद और टिकाऊ स्टिल वॉटर पंप किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ Diggi Subsidy Scheme: किसानों को डिग्गी निर्माण पर मिलेगा 3,40,000 रुपये का अनुदान, जानें कैसे करें आवेदन Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Tarbandi Yojana: अब 2 बीघा जमीन वाले किसानों को भी मिलेगा तारबंदी योजना का लाभ, जानें कैसे उठाएं लाभ? Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 30 April, 2025 6:22 PM IST
बिहार बना G.I. उपयोगकर्ताओं में देश का दूसरा सबसे अग्रणी राज्य, BAU सबौर में हुई 11वीं समीक्षा बैठक में अहम घोषणाएँ

बौद्धिक संपदा संरक्षण और ग्रामीण नवाचार की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में, बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU), सबौर में भौगोलिक संकेतक (Geographical Indications - G.I.) पंजीकरण की प्रगति पर 11वीं समीक्षा बैठक आयोजित की गई. डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक अनुसंधान, BAU की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में बिहार को देश का दूसरा सबसे अग्रणी राज्य घोषित किया गया, जिसने G.I. उपयोगकर्ताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की है.

प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियां

G.I. उपयोगकर्ताओं की संख्या 1,247 पहुँची – अब केवल महाराष्ट्र से पीछे

बिहार ने 1,247 पंजीकृत G.I. उपयोगकर्ताओं के साथ 1,000 के लक्ष्य को पार कर लिया है. यह वृद्धि वैज्ञानिक प्रमाणीकरण, क्षेत्रीय सत्यापन और कानूनी पात्रता के आधार पर सुनिश्चित की गई है. अब लक्ष्य है – 2,000 उपयोगकर्ताओं तक पहुँचना और देश का नंबर 1 राज्य बनना.

17 उत्पादक समितियाँ हुईं पंजीकृत – G.I. उत्पादों को मिला संस्थागत आधार

अब तक 17 G.I.-आधारित उत्पादक समितियाँ औपचारिक रूप से पंजीकृत की जा चुकी हैं, जो गुणवत्ता नियंत्रण, सामूहिक विपणन और वैज्ञानिक ब्रांडिंग की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी.

 13 G.I. आवेदन प्रस्तुत, 5 और तैयार

अब तक 13 वैज्ञानिक रूप से तैयार आवेदन G.I. रजिस्ट्री, चेन्नई को भेजे जा चुके हैं, और 5 और आवेदन अंतिम समीक्षा की प्रक्रिया में हैं. इन सभी में भौगोलिक स्रोत की पुष्टि, ऐतिहासिक प्रमाण, आर्थिक प्रभाव, और वैज्ञानिक परीक्षण शामिल हैं.

वैज्ञानिकों को दिए गए नए प्रस्तावों पर कार्य करने के निर्देश

बैठक में डॉ. ए.के. सिंह ने वैज्ञानिकों को निर्देशित किया कि वे नए संभावित G.I. उत्पादों की पहचान करें और ऐसे प्रस्ताव लाएँ जिनमें स्थानीय विशिष्टता, आनुवंशिक पहचान, और आर्थिक संभावनाएँ हों.

दिग्गजों की दूरदर्शी बातें

डॉ. डी.आर. सिंह, कुलपति, BAU सबौर ने कहा: “G.I. केवल एक कानूनी टैग नहीं है, यह हमारी पारंपरिक विरासत की वैज्ञानिक पहचान और आर्थिक संभावना का प्रतीक है. BAU इसका नेतृत्व करते हुए किसान-केंद्रित नवाचार और वैज्ञानिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर रहा है.” डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक अनुसंधान, ने कहा: “1,000 से अधिक पंजीकृत G.I. उपयोगकर्ताओं का आंकड़ा विज्ञान और टीमवर्क की जीत है. अब हमारा अगला लक्ष्य है — बायोकेमिकल प्रोफाइलिंग, आणविक विश्लेषण, और मूल्य शृंखला एकीकरण के साथ उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना.”

BAU सबौर – एक उभरती हुई G.I. शक्ति

BAU सबौर का G.I. सुविधा केंद्र, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, और स्थानीय उत्पादकों के साथ जुड़ा नेटवर्क इसे सिर्फ G.I. पंजीकरण का नहीं, बल्कि ग्रामीण उद्यमिता, पारंपरिक ज्ञान संरक्षण, और वैश्विक मान्यता का प्रमुख केंद्र बना रहा है.

English Summary: BAU Sabour created a record in GI registration now target is to become number 1 in country
Published on: 30 April 2025, 06:26 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now