भारत सरकार ने देश के किसान भाइयों व आम लोगों के हित के लिए चावल के एक्सपोर्ट पर एक अहम फैसला लिया है. दरअसल अब से सरकार गैर बासमती चावल (non basmati rice) के निर्यात पर लगभग 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने वाली है. इसके अलावा सरकार ने चावल की घरेलू उपलब्धता में बढ़ोतरी करने के लिए टुकड़ा चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.
बता दें कि इस बात की जानकारी विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने 9 सितंबर को नोटिफिकेशन के जरिए बताई है. इस नोटिस से पहले महानिदेशालय ने 8 सितंबर 2022 में जारी किए अधिसूचना में बताया था कि 'टुकड़ा चावल के निर्यात की श्रेणी को 'मुक्त' से 'प्रतिबंधित' (Free to Restricted) में संशोधित कर दिया गया है. जिसे 9 सितंबर से लागू कर दिया जाएगा.
क्यों लगाई चावल के निर्यात पर रोक? (Why was the export of rice banned?)
टुकड़ा चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के पीछे सरकार का मकसद यह है कि चालू खरीफ सीजन में धान फसल का रकबा बेहद कम रहा है. ऐसे में घरेलू क्षेत्र में चावल की सप्लाई में भी बड़ी मात्रा में गिरावट दर्ज की गई है. इसकी सप्लाई को बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने यह अहम फैसला लिया है. जिससे देश के नागरिकों को आने वाले समय में चावल की कमी का सामना न करना पड़े. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने धान के रूप में चावल और ब्राउन राइस पर तकरीबन 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा दिया है.
देश में चावल में क्यों आई कमी (Why has there been a shortage of rice in the country?)
मिली जानकारी के मुताबिक, इस साल देश के कई राज्यों में अच्छी बारिश नहीं होने के कारण किसान भाइयों ने धान की बुवाई बेहद कम की है. जिसके चलते इस बार चावल के उत्पादन (rice production) में कमी देखने को मिली है.
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जैसे कि आप जानते हैं, कि चीन के बाद भारत को चावल का सबसे बड़ा उत्पादक वाला देश कहा जाता है. भारत की वैश्विक स्तर पर चावल की हिस्सेदारी (share of rice) 40 प्रतिशत तक है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में साल 2021-22 में चावल का निर्यात 2.12 करोड़ टन है.