जैविक खेती (Organic Farming ) में छत्तीसगढ़ के बालोद क्षेत्र ने पूरे जिले में तीसरा स्थान पाया है. आपको बता दें कि अब लाल, काले और सफेद चावल की खेती के बाद जिले में हरे चावल का उत्पादन काफी जोर शोर से मशहूर हो रहा है.
जिसकी मांग भारत के सभी राज्यों से लेकर दूर देशों तक है. किसानों को हरे चावल की खेती (Green Rice Cultivation ) से होते मुनाफे को देख कृषि विज्ञान रायपुर की टीम ने हरे चावल की खेती का भी निरीक्षण किया. जिसमें टीम द्वारा किया गया परीक्षण में यह देख गया है कि जिले में करीब 15 डिसमिल में एक किलो हरे रंग के चावल के बीज का छिड़काव कर 37 किलो हरे चावल का उत्पादन किया गया. राज्य के सभी किसान हरे चावल की खेती से अच्छा मुनाफा भी कमा रहे है.
किसानों का कहना है कि पहले हम सभी किसान भाईयों से बिलासपुर की बड़ी – बड़ी कम्पनियाँ जैविक तरीके से उगाये गये फसल को अपना सिम्बल देकर बाज़ार में ऊँचे दामों में बेचा करते थी, लेकिन अब हम सभी ने अपना खुद का सर्वोदय कृषक प्रोडक्शन लिमिटेड (Sarvodaya Krishak Production Limited) नाम का सिंबल बनाया है. इसे बाजर में अपने टैग या सिम्बल की पहचान से ऊँचे दामों में बेचते हैं. साथ ही किसानों का कहना है कि कंपनी के लोग भी हम से सीधे इन चावलों की खरीद करते हैं.
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इसके अलावा जैविक तरीके से उगाया गया चावल के अच्छे दाम मिलते हैं, साथ ही यह सेहत के लिए भी बहुत अधिक फायदेमंद होते हैं. इसके सेवन से शरीर में किसी भी प्रकार का रोग जैसे अपच, बदहजमी,और पेट दर्द जैसी समस्या भी नहीं होती है.
राज्य में जैविक तरीके से रंग बरंगे चावल का उत्पादन देख सभी आस-पास के जिले के किसान प्रेरित हो रहे हैं. साथ ही जिले में उत्पादित जैविक चावल व गेहूं का इस्तेमाल विदेश में भी औषधीय रूप में किया जा रहा है. इसकी लगातार मांग बढ़ रही है.