Millet Procurement: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा दिए गए निर्देश के बाद बाजरे की सरकारी खरीद शुरु हो गई है. लेकिन किसानों को अब भी धान की सरकारी खरीद का इंतजार है. माना जा रहा है कि 1 अक्टूबर से धान की खरीद शुरू हो सकती है. आपको बता दें कि बाजरे की खरीद का भुगतान राज्य सरकार की भावांतर भरपाई योजना के तहत किया जाएगा. फसल की खरीद का पैसा 72 घंटे में सीधा किसानों के बैंक खातों में जाएगा. वहीं अच्छी और औसत क्वालिटी (FAQ) वाले बाजरे की खरीद प्रचलित बाजार दर पर होगी. साथ ही ये खरीद उन किसानों से की जाएगी, जो मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्टर्ड और वेरीफाइड हैं.
भावांतर भरपाई योजना के तहत होगा भुगतान
किसानों को प्रचलित मंडी दर और एमएसपी (MSP) के अंतर का भुगतान राज्य सरकार की भावांतर भरपाई योजना के तहत किया जाएगा. फसल खरीद का पैसा सीधा किसानों के बैंक एकांउट भेजा जाएगा.
एक अक्टूबर से हो सकती है धान की खरीद
बाजरा के एमएसपी 2,500 रुपये के मुकाबले 1,900 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत मिलेगी. निजी व्यापारियों द्वारा बासमती चावल की 1509 किस्म की दर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की खरीद अभी स्थिर बनी हुई है. परमल किस्म के धान की सरकारी खरीद अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक शुरू होने की उम्मीद है.
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जिलों की मंडियों में नहीं हो रही खरीद
बाजार समिति के अधिकारी का कहना है कि बाजारा और धान की खरीद की घोषणा 25 सिंतबर से शुरू होने के निर्देश दिए गए है. लेकिन सरकारी एजेसियों द्वारा अभी तक कई जिलों की मंडियों में प्रक्रिया तक शुरू नहीं हुई है. बाजरे की खरीद 2,200 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तय की गई है. लेकिन, निजी व्यापारियों द्वारा बाजरे की खरीद 1,900 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर की जा रही है.
300 रुपये किसान को हो रहा नुकसान
कमीशन एजेंट एसोसिएशन के पदाधिकारी गौरव तेवतिया ने खरीफ फसल की खरीद में हो रही देरी पर अधिकारियों को दोषी ठहराया है. उनका कहना है कि बाजरे की खरीद के लिए किसी आधिकारिक एजेंसी को नहीं चुना गया है. इससे किसानों को प्रति क्विंटल 300 रुपये का नुकसान हो रहा है. वहीं अब किसानों को भी यकीन नहीं है कि भावांतर भरपाई योजना के माध्यम से हो रहे नुकसान की भरपाई की जाएगी या नहीं.
इस कारण बाजरा बिकेगा कम दामों में
फसल बेचने के लिए जो सरकारी पोर्टल में रजिस्ट्रेशन प्रणाली 888999 में गड़बड़ी है. वहीं अब तक केवल 35 प्रतिशत ही धान उत्पादक किसान पंजीकृत हो पाए हैं. इससे यह संभावना है कि अधिकांश लोग बाजरा और धान एमएसपी से नीचे कम दामों में बेचेंगे. मंडियों में लगभग 2,200 क्विंटल बाजरा, 5,400 गांठ कपास और 20,000 क्विंटल से अधिक बासमती धान की आवक हुई है.