भारत के कुछ किसान आज भी खेती के लिए परंपरागत साधनों पर निर्भर हैं. खासकर छोटे और सीमांत किसान जिनके पास ट्रैक्टर या आधुनिक उपकरण खरीदने की क्षमता नहीं है. ऐसे किसान बैलों की मदद से खेतों की जुताई करते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने बैल जोड़ी अनुदान योजना शुरू की है. इस योजना के तहत बैलों से खेती करने वाले किसानों को एक जोड़ी बैल रखने पर 30,000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी. इस योजना का सबसे बड़ा फायदा लघु और सीमांत किसानों को मिलेगा, जिनके पास खेती का साधन सीमित है.
योजना का उद्देश्य किसानों के आर्थिक बोझ को कम करना और बैल आधारित खेती को बढ़ावा देना है. बैलों से खेती करने पर ईंधन की लागत शून्य हो जाती है और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है. इससे जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलता है और किसानों को कम खर्च में अधिक उत्पादन करने का मौका मिलता है.
योजना की मुख्य बातें
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बैल जोड़ी अनुदान योजना केवल उन्हीं किसानों पर लागू होगी जो बैलों से पारंपरिक खेती करते हैं.
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इस योजना में किसानों को पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर लाभ मिलेगा.
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किसानों को बैल खरीदने और उनकी देखभाल के लिए 30,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी.
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योजना लघु और सीमांत किसानों के लिए विशेष रूप से बनाई गई है.
किसानों को कैसे मिलेगा फायदा?
इस योजना से किसानों को कई लाभ होंगे. सबसे पहले तो उन्हें खेती में ट्रैक्टर और मशीनरी पर खर्च नहीं करना पड़ेगा. इससे डीजल और पेट्रोल जैसे ईंधन की लागत शून्य हो जाएगी. बैलों की मदद से खेती करने पर मिट्टी की गुणवत्ता और उर्वरता भी बनी रहती है. इससे किसानों को जैविक खेती करने का अवसर मिलेगा.
इसके अलावा किसानों को अपने बैलों के चारे, इलाज और देखभाल पर भी इस अनुदान राशि का उपयोग करने की सुविधा होगी. इसका सीधा फायदा यह होगा कि किसान आर्थिक रूप से मजबूत होंगे और खेती का खर्च कम होगा.
किन किसानों को मिलेगा लाभ?
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योजना में वही किसान पात्र होंगे जिनके पास 15 माह से 12 वर्ष तक की आयु वाले बैल होंगे.
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बैलों का पशु बीमा होना अनिवार्य है.
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किसानों के पास भूमि का स्वामित्व प्रमाण-पत्र या वनाधिकार पट्टा होना चाहिए.
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बैलों की फोटो और बीमा पॉलिसी की प्रति जमा करनी होगी.
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किसान को 100 रुपये के नॉन-ज्यूडिशियल स्टाम्प पर शपथ पत्र देना अनिवार्य है.
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जनजातीय क्षेत्रों के किसान और मंदिर भूमि पर खेती करने वाले पुजारी संरक्षक भी इस योजना के पात्र होंगे.
आवेदन प्रक्रिया
बैल जोड़ी अनुदान योजना का लाभ उठाने के लिए किसान को नजदीकी कृषि कार्यालय में आवेदन करना होगा.
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आवेदन पत्र के साथ आधार कार्ड, भूमि स्वामित्व प्रमाण-पत्र, बैलों की फोटो और बीमा पॉलिसी संलग्न करनी होगी.
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किसान को तहसीलदार से प्रमाण-पत्र भी लेना अनिवार्य है.
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आवेदन की अंतिम तिथि 10 सितंबर 2025 तय की गई है.
कृषि विभाग द्वारा सभी दस्तावेजों की जांच के बाद किसानों को योजना का लाभ दिया जाएगा.
योजना का महत्व
यह योजना खासतौर पर उन किसानों के लिए वरदान है जो अब भी बैलों से खेती करते हैं. बैल आधारित खेती न सिर्फ सस्ती है बल्कि पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है. इससे किसानों का खर्च कम होगा और उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी.
सरकार का यह कदम किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. खासकर छोटे और सीमांत किसान इससे बड़ी राहत महसूस करेंगे.