आज अगर आप किसी भी युवा से उसके भविष्य की भावी योजनाओं के बारे में पूछेंगे तो अनायास ही उसका जवाब यही रहेगा कि उसे किसी भी बड़े शहर में अच्छी कंपनी में नौकरी मिल जाए और वो ढेर सारी संपत्ति कमाकर अपने परिवार संग आराम की जिंदगी जिए. आज की तारीख में हर युवक व युवतियों का ख्वाब महज बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम कर अच्छी आय अर्जित करना है.
शहरीकरण के इस दौर में लगता है कि आज युवाओं की प्राथमिकता में कृषि ओझल हो चुका है. ऐसी स्थिति में अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो फिर वो दिन दूर नहीं जब हमारे वजूद के ऊपर संकट के बादल मंडराने लग जाएंगे, मगर इन सबके बीच अवनी सिंघानिया ने जिस तरह की दृष्टिकोण पेश की है, वो यकीनन काबिल-ए-तारीफ है. महज, 17 वर्षीय सिंघानिया ने किसानों की पीड़ा को देखते हुए जिस तरह समाज सेवा का कदम उठाया है, वो यकीनन प्रशंसनीय है.
अवनी सिंघानिया बतातीं हैं कि ऐसे आलम में जब पूरा देश कोरोना काल की वजह से बहुत ज्यादा परेशान था. लोगों की चहल-पहल से गुलजार रहने वाली गलिया सुनसान हो चुकी थी. सभी अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित थे. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए. भारी संख्या में लोग अवसाद से ग्रसित हो रहे थे. अफसोस, इसकी आगोश में आने से किसान भी अछूता नहीं रहा.
कोरोना काल में अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो रहे लोग पहले से ही खरीददारी को कम कर चुके थे. उधर, किसानों को भी उनकी फसलों को वाजिब दाम नहीं मिल रहा था, जिसके चलते उन्हें आर्थिक तौर पर खासा नुकसान का सामना करना पड़ा. सिघांनिया बतातीं हैं कि कोरोना काल जब उनकी नजर मीडिया रिपोर्ट पर जाती तो उनसे किसानों का दुख-दर्द देखा नहीं जाता था. वे परेशान हो जाती थीं. जब किसानों ने कोरोना काल में अपने विरोधस्वरूप अपने आक्रोश को दिखाने के लिए अपनी फसलों को सड़कों पर फेंकना शुरू कर दिया था, चूंकि उन्हें उनकी फसलों का वाजिब दाम उन्हें नहीं मिल रहा था.
फिर, कुछ करने की ठानी
वहीं, जब अवनी से किसानों की पीड़ा नहीं देखी गई तो उन्होंने किसानों के लिए कुछ करने का मन बनाया. महज, 17 वर्षीय अवनी के लिए यकीनन यह सब कुछ आसान नहीं था, मगर अवनी ने किसानों को उनकी पीड़ा व आर्थिक चुनौतियों से आजादी दिलाने हेतु धन संचय का सहारा लिया. आहिस्ता-आहिस्ता लोगों ने इनके नेक काम को देखते हुए इनकी मदद को आगे आए. इस तरह आहिस्ता-आहिस्ता धन संचय की कवायद आगे बढ़ती गई. जिसका इस्तेमाल अवनी किसानों को समृद्ध करने के लिए करती थीं. वहीं, हर किसी को जब यह पता चला कि महज 17 वर्षीय अवनी ने किसानों के हित में इतना बड़ा काम किया है, तो हर कोई उनकी तारीफ करते हुए नहीं थक रहा था. हर कोई उनकी तारीफ कर रहा था.
अभी हाल ही में जेके एग्री जेनेटिक्स लिमिटेड द्वारा हैदराबाद के बलरामपुर में किसान सहायता निधि वितरण समारोह का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन अवनी सिंघानिया के द्वारा किया गया जोकि अवनी के समर्पण भाव किसानों के प्रति तथा कला में विशेष रूचि समाज के पुर्नउत्थान व अन्य अनगिनित सामाजिक समरसता से परिपूर्ण भावना से प्रेरित था. अवनी सिंघानिया के मुताबिक, “कोविड-19 के दौरान किसानों को सब्जी फसल( टमाटर, बैंगन, इत्यादी) का उचित मूल्य न मिल पाने व उत्पाद को किसानों के द्वारा खेती में छोड़ने से द्रवित होकर कुछ नया संस्करण ईजाद करके मेरे द्वारा मिट्टी से कलाकृतियां बनाकर व बेचकर प्राप्त आय उन्हें परिवारों से समर्पण कर उन्हें आर्थिक मदद करने का यह छोटा सा प्रयास आज सफल हुआ है.“
गौरतलब है कि हमारे देश में लोग शुरू से ही अपनी बदहाली से त्रस्त रहे हैं, जिसको चलते आज काफी किसान खेती बाड़ी से तौबा करने का मन बना चुके हैं, लेकिन अवनी की यह पहल उन सभी लोगों को प्रेरणा देने का काम करेगा, जो युवा इस आधुनिक युग में खेती किसानी से तौबा कर रहे हैं.
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