ट्रैक्टर, रोटावेटर, ड्रिल मशीन, ड्रोन आदि कृषि यंत्र आधुनिक कृषि में खाद्य उत्पादन बढ़ाने के साथ किसान के श्रम और धन की बचत करते हैं. विश्व खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार सीमांत और हाशिए पर खड़े किसानों की अपेक्षा बड़े किसानों तक इनकी पहुंच आसान होती है. यह खाई वैश्विक कृषि परिस्थितियों में असमानता को और गहरा कर रही है.
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा विश्व खाद्य और कृषि सुरक्षा पर रिपोर्ट इस महीने पेश की गई है. यह रिपोर्ट खेतीबाड़ी में कृषि यंत्रों के योगदान और कृषि कार्यों में सतत विकास के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर बनाई गई है. इसमें नीति निर्माताओं का लाभ अधिकतम और जोखिम कम करने की भी सिफारिश की गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व में प्रति 1000 हेक्टेयर भूमि पर ट्रैक्टरों की संख्या के उपलब्ध आंकड़े खेतीबाड़ी में मशीनीकरण की दिशा में असमान क्षेत्रीय प्रगति को दर्शाते हैं. उत्तरी अमेरिका, यूरोप और ओशिनिया में अधिक आय वाले देश 1960 के दशक तक अत्यधिक यंत्रीकृत थे. लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले एशियाई और अफ्रीकी देश के किसान इस समय तक कम यंत्रीकृत थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि एशियाई और अफ्रीका के कृषि तंत्र में जिसमें शासन और प्रशासन की भूमिका होती है, वे आधुनिक मशीनों के प्रयोग और इससे होने वाले फायदों को अपनी किसान आबादी तक नहीं पहुंचा पाते.
उदाहरण के तौर पर जापान में प्रति 1000 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि पर 400 से अधिक ट्रैक्टर हैं जबकि घाना के पास इनकी संख्या महज 0.4 प्रतिशत है. इस असमानता के लिए निश्चित तौर पर कृषि तंत्र में खामियां हैं.
रिपोर्ट नौकरी के लिए विस्थापन और बेरोजगारी के संदर्भ में श्रम-बचत और धन बचत के लिए तकनीकी के इस्तेमाल चिंताओं को भी संबोधित करती है. कृषि यंत्रों के प्रयोग से ऐसे क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ सकती है जहां ग्रामीण श्रम प्रचुर मात्रा में है और मजदूरी कम है. विशेषज्ञों का कहना है नीति निर्माताओं को ऐसे क्षेत्रों में कृषि यंत्रों पर सब्सिडी देने से बचना चाहिए. साथ ही कुशल श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए.
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एफएओ के महानिदेशक क्यू डोंग्यु ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा है कि संस्था का वास्तव में मानना है कि तकनीकी प्रगति और उत्पादकता में वृद्धि के बिना, करोड़ों लोगों को गरीबी, भूख, खाद्य असुरक्षा से बाहर निकालने की कोई संभावना नहीं है.
हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कृषि क्षेत्र में यंत्रों का प्रयोग इस तरह से हो जो समावेशी हो और कृषि क्षेत्र के बेहतरीकरण के लिए कार्य करे. जो सबसे अधिक प्रभावशाली है वह यह है कृषि यंत्रों के प्रयोग में बढ़ रही असमानता की कमी को दूर करना. ये काम नीति-निर्माता ईमानदारी से करेंगे तो एक दिन छोट किसान-बड़े किसान के बीच की खाई पट जाएगी.