आधुनिक समय में सब अपने कार्य को कम समय में पूरा करना चाहते हैं. फिर चाहे वो क्रषि क्षेत्र हो या अन्य कोई. कृषि क्षेत्र में फसल में कीटनाशकों का छिडकाव, रसायनिक उर्वरक का प्रयोग, स्वचालित ट्रेक्टर का उपयोग, गेहूं की बीज बुवाई कार्य आदि.
यह सभी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) या कृत्रिम बुद्धिमत्ता हैं, जो आसानी से खेती के कामों को सरल कर देते हैं, लेकिन इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग हमारी खेती के लिए कितनी खतरनाक है, इस बात का अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता है, इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने अगाह किया है.
बता दें कि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अधिक उपयोग को लेकर कई खतरों के बारे में शोध किया है. जिसमें चेतावनी दी गई है कि कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के भविष्य के उपयोग से खेतों, किसानों और खाद्य सुरक्षा के लिए काफी बड़े खतरे होने के आसार हैं.
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने बताया कि खेतों के कामों को आसान करने के लिए जिन मशीनों का उपयोग किया जाता है, वह कोई वैज्ञानिक तथ्य नही है, बल्कि एक प्रकार की तकनीक होती है, जो अच्छी तो होती हैं, लेकिन इनके उपयोग कहीं ना कहीं खतरनाक भी हो सकते है.
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वहीं उनका कहना है कि अपने आप चलने वाली मशीनें किसानों के काम करने की स्थिति में सुधार कर सकती हैं, उन्हें शारीरिक श्रम से राहत मिल सकती है, लेकिन समावेशी तकनीकी डिजाइन के बिना, सामाजिक-आर्थिक असमानताएं जो वर्तमान में वैश्विक कृषि में शामिल है. जिसमें लिंग, वर्ग और जातीय भेदभाव शामिल हैं जो इसके चलते बनी रहेगी.