Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 26 February, 2022 1:34 PM IST
Artificial Intelligence in Agriculture

आधुनिक समय में सब अपने कार्य को कम समय में पूरा करना चाहते हैं. फिर चाहे वो क्रषि क्षेत्र हो या अन्य कोई. कृषि क्षेत्र में फसल में कीटनाशकों का छिडकाव, रसायनिक उर्वरक का प्रयोग, स्वचालित ट्रेक्टर का उपयोग, गेहूं की बीज बुवाई कार्य आदि.

यह सभी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) या कृत्रिम बुद्धिमत्ता हैं, जो आसानी से खेती के कामों को सरल कर देते हैं, लेकिन इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग हमारी खेती के लिए कितनी खतरनाक है, इस बात का अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता है, इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने अगाह किया है.

बता दें कि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अधिक उपयोग को लेकर कई खतरों के बारे में शोध किया है. जिसमें चेतावनी दी गई है कि कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के भविष्य के उपयोग से खेतों, किसानों और खाद्य सुरक्षा के लिए काफी बड़े खतरे होने के आसार हैं.

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने बताया कि खेतों के कामों को आसान करने के लिए जिन मशीनों का उपयोग किया जाता है, वह कोई वैज्ञानिक तथ्य नही है, बल्कि एक प्रकार की तकनीक होती है, जो अच्छी तो होती हैं, लेकिन इनके उपयोग कहीं ना कहीं खतरनाक भी हो सकते है.

इसे पढ़ें - कृषि वैज्ञानिकों ने मौसम की मार से फसलों को बचाने का तरीका बताया

इसके एल्गोरिदम जो ड्रिप-सिंचाई प्रणाली, खुद चलने वाले ट्रैक्टर और कंबाइन हार्वेस्टर को नियंत्रित करते हैं. यह फसल की जरूरतों के मुताबिक मौसम और सटीक जरूरतों के हिसाब से काम कर सकता है. फिर यह कल्पना कीजिए कि एक हैकर इन सभी चीजों को गड़बड़ा दे तो क्या होगा?

उन्होंने कहा फसल प्रबंधन और कृषि उत्पादकता (Crop Management And Agricultural Productivity) में सुधार के लिए बुआई के बहुत बड़े वादे के बावजूद, इससे होने वाले खतरों को जिम्मेदारी से हल किया जाना चाहिए. नई तकनीकों को प्रयोगात्मक व्यवस्था में ठीक से परीक्षण किया जाना चाहिए.

वैज्ञानिकों ने कहा कि उच्च पैदावार की खोज में कीटनाशकों का अधिक उपयोग (Excessive Use Of Pesticides) पारिस्थितिकी तंत्र में जहर फैला सकता है. नाइट्रोजन उर्वरकों का अधिक उपयोग मिट्टी और आसपास के जलमार्गों को प्रदूषित कर सकता है. अध्ययनकर्ताओं का सुझाव है कि इन परिदृश्यों से बचने के लिए तकनीकी डिजाइन प्रक्रिया में लागू पारिस्थितिकीविदों को शामिल किया जाना चाहिए.

वहीं उनका कहना है कि अपने आप चलने वाली मशीनें किसानों के काम करने की स्थिति में सुधार कर सकती हैं, उन्हें शारीरिक श्रम से राहत मिल सकती है, लेकिन समावेशी तकनीकी  डिजाइन के बिना, सामाजिक-आर्थिक असमानताएं जो वर्तमान में वैश्विक कृषि में शामिल है. जिसमें लिंग, वर्ग और जातीय भेदभाव शामिल हैं जो इसके चलते बनी रहेगी.

English Summary: attention! there are many dangers of artificial intelligence in agriculture
Published on: 26 February 2022, 01:43 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now