दूध में दरार पड़ गई
खून क्यों सफेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया.
बंट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई.
दूध में दरार पड़ गई.
खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद
यही वो शायराना अंदाज़ था जो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने सभाओं में बेबाकी से इस्तेमाल किया करते थे. उनके वो बेबाक अंदाज़ और खेती और किसानों के लिए कहे जाने वाले शब्दों को सुनने के लिए किसानों का जमावड़ा लग जाता था. गांव के लोग उनसे जुड़ा हुआ महसूस करते थे. देश के किसानों को लेकर वो काफी संवेदनशील थे और हमेशा किसानों के लिए कुछ करना चाहते थे. अटल बिहारी वाजपेयी ने किसान क्रेडिट कार्ड के लिए मुहर लगाई जिससे आज किसान आसानी से खरीदारी करने में सामर्थ हैं.
जिस जैविक खेती को आज देश के किसान अपना रहै हैं उसके पिछे भी वाजपेयी का हाथ है. इसके लिए उनके सरकार में अलग से नीति बनाई गई थी. वो चाहते थे की किसान उपज को कीटनाशक के बीना ही उगाए. उन्होंने 1999 से 2004 तक रासायन एवं खाद्द मंत्री का पदभार संभाला और इस दौरान उन्होंने किसानों के लिए कई अहम निर्णया लिया.
उनका मानना था की किसानों को सारी जानकरी टेलीवीजन के माध्यम से भी मिले और किसान ज्यादा से ज्यादा सीखे इसलिए उन्होंने किसान चैनल की भी शुरुआत की. हालांकि उनके कार्यकाल के बाद इसे कुछ समय के लिए बंद भी कर दिया गया था.